Home Latest News & Updates धर्मांतरण रोकने के लिए सख्त योगी सरकार, कन्वर्जन बिल को बनाया और मजबूत, पढ़िए डिटेल्स

धर्मांतरण रोकने के लिए सख्त योगी सरकार, कन्वर्जन बिल को बनाया और मजबूत, पढ़िए डिटेल्स

by Rishi
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UP News: अब छल, कपट, धमकी, प्रलोभन, या विवाह का झूठा वादा करके धर्मांतरण कराने वालों को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है.

UP News: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अवैध धर्मांतरण को रोकने के लिए अपने मौजूदा कानून को और सख्त करते हुए उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम, 2024 को विधानसभा में पारित कर दिया है. इस विधेयक को 30 जुलाई 2024 को विधानसभा में पेश किया गया और मंगलवार को इसे मंजूरी मिल गई. सरकार का दावा है कि यह कानून महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, नाबालिगों और दिव्यांगों के अवैध धर्मांतरण को रोकने के लिए आवश्यक है. इस संशोधन में सजा और जुर्माने को पहले से कहीं अधिक कड़ा किया गया है, जिसे देश का सबसे सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून माना जा रहा है.

क्या हैं नए संशोधन?

नए कानून में धर्मांतरण से जुड़े अपराधों को और गंभीर श्रेणी में रखा गया है. अब छल, कपट, धमकी, प्रलोभन, या विवाह का झूठा वादा करके धर्मांतरण कराने वालों को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. पहले के कानून में अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान था. इसके अलावा, जुर्माने की राशि को भी दोगुना कर दिया गया है. उदाहरण के लिए, सामान्य धर्मांतरण के मामले में 1-5 साल की सजा और 15,000 रुपये के जुर्माने को बढ़ाकर 3-10 साल की सजा और 25,000 रुपये का जुर्माना किया गया है. अगर पीड़ित नाबालिग, महिला, या एससी-एसटी समुदाय से है, तो सजा 5-14 साल और जुर्माना 1 लाख रुपये तक हो सकता है.एफआईआर दर्ज करने का दायरा बढ़ा

एफआईआर दर्ज करने का दायरा बढ़ा

पहले केवल पीड़ित, उनके माता-पिता, भाई-बहन, या खून के रिश्तेदार ही धर्मांतरण की शिकायत दर्ज कर सकते थे. नए संशोधन में अब कोई भी व्यक्ति एफआईआर दर्ज करा सकता है, जिससे कानून को और व्यापक बनाया गया है. यह बदलाव सरकार का मानना है कि अवैध धर्मांतरण को और प्रभावी ढंग से रोका जा सकेगा. हालांकि, विपक्षी दलों ने इस प्रावधान पर सवाल उठाए हैं, उनका कहना है कि इससे झूठी शिकायतों की बाढ़ आ सकती है.

विदेशी फंडिंग पर भी सख्ती

नए कानून में विदेशी या अवैध संस्थाओं से धर्मांतरण के लिए फंडिंग लेने को भी अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है. ऐसे मामलों में 7-14 साल की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. सरकार का कहना है कि यह प्रावधान जनसांख्यिकीय परिवर्तन और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए जरूरी है.

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