Von Der Leyen News : यूरोपीय संघ की चीफ उर्सुला वॉन डेर लेयेन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा. अगर यह प्रस्ताव उनके खिलाफ चला जाता है तो उनको इस पद से हटना होगा.
Von Der Leyen News : यूरोपीय संघ के सामने बड़ा संकट आ गया है और यूरोपीय संघ की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन (Ursula von der Leyen) के खिलाफ गुरुवार को अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा. इस प्रस्ताव का हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान (Viktor Orbán) ने समर्थन किया है और उनसे पद से हटाने की मांग तेज कर दी है. ऐसा प्रस्ताव बीते एक दशक में पहली बार लाया जा रहा है और यूरोपीय संघ की अध्यक्ष के खिलाफ कट्टर दक्षिणपंथी सांसदों के एक समूह की तरफ से लाया जा रहा है. बता दें कि इस प्रस्ताव को पारित करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता है और कहा जा रहा है कि उर्सुला आसानी से विश्वास मत प्राप्त कर लेंगी.
इन आरोपों के बाद लाया गया अविश्वास प्रस्ताव
वहीं, अगर किसी तरह वॉन डेर लेयेन हार भी जाती हैं, तो उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. हालांकि, अधिकतर राजनीतिक ग्रुप ने संकेत दिया है कि उर्सुला आसानी से इस विश्वास मत को प्राप्त कर लेंगी और अपने पद पर अपने कार्यकाल तक बनी रहेंगी. वॉन डेर लेयेन के खिलाफ इस तरह का प्रस्ताव कई आरोपों के तहत लाया जा रहा है, जिसमें मुख्य रूप से कोविड-19 वैक्सीन निर्माता फाइजर के साथ निजी तौर पर टेक्स्ट मैसेजिंग, यूरोपीय संघ के धन का दुरुपयोग और जर्मनी व रोमानिया के चुनावों में हस्तक्षेप शामिल हैं. वहीं, हंगरी के प्रधानमंत्री ने कहा कि यह मतदान का सच्चाई का क्षण होगा. एक तरफ जहां पर ब्रुसेल्स में साम्राज्यवादी अभिजात वर्ग और दूसरी तरफ देश भक्त होंगे. अब इससे बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा है और चुनाव कराना काफी जरूरी है.
यूरोपीय पीपुल्स पार्टी रही आलोचना का केंद्र
ओरबेन ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में लिखा कि मैडम प्रेसिडेंट, नेतृत्व की जिम्मेदारी पूरी हुई… अब आपका जाने का समय आ गया. वॉन डेर लेयेन और विक्टर ओरबान के बीच में हमेशा टकराव होता रहा है. वॉन डेर लेयेन के नियंत्रण वाले आयोग ने यूरोपीय संघ के अरबों यूरो को फंड तक हंगरी की पहुंच से रोक दिया है. उन्होंने आगे कहा कि वॉन डेर लेयेन ने महामारी के दौरान 45 करोड़ नागरिकों के लिए टीके खोजने के यूरोपीय संघ के अभियान का नेतृत्व किया था. साथ ही यूरोपीय पीपुल्स पार्टी, यूरोपीय संघ की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी रही है और आलोचना का केंद्र भी बनी रही है. साथ ही उन पर अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने का के लिए दक्षिणपंथियों से सांठगांठ करने का आरोप है.
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