Home Religious Budhanilkanth Mandir: ये है दुनिया का इकलौता मंदिर, जहां सोई हुई मुद्रा में विराजमान हैं श्रीहरि विष्णु

Budhanilkanth Mandir: ये है दुनिया का इकलौता मंदिर, जहां सोई हुई मुद्रा में विराजमान हैं श्रीहरि विष्णु

by Pooja Attri
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Budhanilkanth Mandir: ये है दुनिया का इकलौता मंदिर, जहां सोई हुई मुद्रा में विराजमान हैं श्रीहरि विष्णु

Vishnu Temple: बुधनिलकंठ मंदिर में श्रीहरि विष्णु की विश्व में ऐसी इकलौती मूर्ति मौजूद है, जो शेष नाग पर विश्राम की मुद्रा में स्थित है. आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं और खास बातें.

12 April, 2024

Budhanilkanth Mandir Nepal: देश में कई ऐसे मंदिर मौजूद हैं जो श्री हरि विष्णु को समर्पित हैं. ये मंदिर अपनी खूबसूरती और चमत्कार के लिए दुनियाभर में लोकप्रिय हैं. ऐसा ही एक मंदिर पाल के शिवपुरी में स्थित है जो बुधनिलकंठ मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में श्रीहरि विष्णु की विश्व में ऐसी इकलौती मूर्ति मौजूद है, जो शेष नाग पर विश्राम की मुद्रा में स्थित है. बुधनिलकंठ मंदिर नेपाल के काठमांडू से 8 किलोमीटर दूर शिवपुरी पहाड़ी की तलहटी में मौजूद है. यहां लोग देश-विदेश से दर्शन करने आते हैं. चलिए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें.

खासियत

नेपाल के बुधनिलकंठ मंदिर में कई सालों से श्रीहरि विष्णु की मूर्ति एक तालाब में सोई हुई मुद्रा में स्थित है. इस मूर्ति में श्रीहरि के सिर पर 11 नागों का छत्र बना है. साथ ही ये मूर्ति 11 नागों की सर्पिलाकार कुंडली में विराजमान है. ये मूर्ति 5 मीटर लंबी है, जिसमें भगवान विष्णु के पैर विश्राम की मुद्रा में जुड़े दिखाई दे रहे हैं.

मंदिर का नाम

पौराणिक कथानुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब विष निकला तो शंकर भगवान ने उसको ग्रहण किया, जिससे भोलेनाथ का कंठ जलने लगा. ऐसे में श्रीहरि विष्णु ने विष के असर को कम करने के लिए एक स्थान पर त्रिशूल मारा, जिससे एक झील का निर्माण हुआ. इससे भोलेनाथ के गले की जलन तुरंत शांत हो गई. आज के समय में इस झील को गोंसाईकुंड झील के नाम से जाना जाता है. मान्यतानुसार, इसी गोसाईन कुंड का जल बुधनिलकंठ में में आता है इसी के चलते ये मंदिर बुधनिलकंठ नाम से जानते हैं.

मान्यताएं

मान्यतानुसार, एक किसान को खेत में काम करते दौरान ये मूर्ति दिखाई दी थी. भक्तजन और श्रृद्धालुओं के अनुसार, इस मंदिर में अगस्त के महीने में वार्षिक शिव उत्सव मनाया जाता है. इस दौरान झील के नीचे भगवान भोलेनाथ की छवि नजर आती है. ऐसा मात्र सावन माह के दौरान ही होता है.

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