Home Top News दिल्ली बोली सेफ्टी फर्स्ट, सड़कें हों रहीं रिपेयर, लेकिन कुल खर्चा जानकर आपके होश उड़ जाएंगे

दिल्ली बोली सेफ्टी फर्स्ट, सड़कें हों रहीं रिपेयर, लेकिन कुल खर्चा जानकर आपके होश उड़ जाएंगे

by Vikas Kumar
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Delhi Road Construction

दिल्ली सरकार ने प्रमुख सड़कों की मरम्मत, भीड़भाड़ कम करने और आधुनिकीकरण सहित विभिन्न इंफ्रास्ट्रक्चर्ल इनिशिएटिव्स के लिए केंद्र से मदद मांगी है.

Delhi Road Infrastructure Upgrade: इन दिनों जब आप राजधानी दिल्ली की सड़कों पर निकलते होंगे तो आपको चारों तरफ रोड कंस्ट्रक्शन दिखाई देता होगा. चारों तरफ धूल का गुबार देखकर आप बेहद परेशान और चिंतित भी हो जातें होंगे लेकिन कैसा हो कि अगर कहा जाए कि ये सब आपकी सेफ्टी के लिए ही किया जा रहा है. जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा. दरअसल, दिल्ली सरकार ने प्रमुख सड़कों की मरम्मत, भीड़भाड़ कम करने और आधुनिकीकरण सहित विभिन्न इंफ्रास्ट्रक्चर्ल इनिशिएटिव्स के लिए सेंट्रल रोड एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से 1,500 करोड़ रुपये की मांग की है. न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, ये प्रस्ताव जून में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में हुई एक उच्च-स्तरीय बैठक के दौरान रखा गया था, जहां दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सड़क सुधार परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता मांगी थी.

मिली ये जानकारी

आधिकारिक दस्तावेजों में कहा गया है, “दिल्ली सरकार को सीआरआईएफ के तहत विचाराधीन परियोजनाओं की प्राथमिकता सूची मंत्रालय को आगे की कार्रवाई के लिए प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है.” सीआरआईएफ सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की एक योजना है जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रमुख सड़कों और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास और रखरखाव के लिए धन प्रदान करती है. दिल्ली सरकार ने धूल प्रदूषण को कम करने, सड़कों की गुणवत्ता में सुधार और यातायात की भीड़भाड़ को कम करने के उद्देश्य से कई परियोजनाएं शुरू की हैं. लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) राजधानी में लगभग 1,400 किलोमीटर सड़कों का प्रबंधन करता है, और इस वर्ष 600 किलोमीटर सड़कों की मरम्मत की योजना पर काम चल रहा है. पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश वर्मा ने पहले घोषणा की थी कि ये नवीनीकरण शहर के व्यापक पर्यावरणीय और बुनियादी ढांचे के लक्ष्यों के अनुरूप हैं. सरकार ने दिल्ली-हरियाणा और दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित 12 उच्च-यातायात गलियारों की भी पहचान की है. अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय धनराशि पीडब्ल्यूडी के अपने बजट के अतिरिक्त होगी.

टोल प्लाजा को हटाने की सलाह

बैठक के दौरान, गडकरी ने टोल प्लाजा द्वारा दिल्ली डी-कंजेशन योजना के तहत सिग्नल-मुक्त गलियारों के विकास के उद्देश्य को “कमजोर” करने पर भी अपनी नाराजगी व्यक्त की. अधिकारियों के अनुसार, दिल्ली के प्रवेश बिंदुओं पर टोल प्लाजा के कारण यातायात की भीड़भाड़ के मुद्दे पर चर्चा की गई. दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के टोल-संग्रह बूथ, खासकर दिल्ली-गुरुग्राम और दिल्ली-गाजियाबाद एक्सप्रेसवे पर, वाहनों की लंबी कतारों का कारण बनते हैं, जिससे यात्रियों को रोजाना असुविधा होती है. बैठक के विवरण में कहा गया है, “इसे देखते हुए, मंत्री ने एमसीडी को राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित अस्थायी टोल प्लाजा को तुरंत हटाने की सलाह दी. उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री को राज्य सरकार के संसाधनों के माध्यम से एमसीडी को होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई करने पर विचार करने का सुझाव दिया.” मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से अनुरोध किया है कि वह हाल ही में राज्य द्वारा केंद्र को सौंपे गए तीन खंडों – एनएच-9, एनएच-2 और एनएच-148ए – के सर्विस लेन और नालियों के रखरखाव का काम अपने हाथ में ले.

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