Home Top News ‘जीतते हैं तो सब ठीक होता है और हारते हैं तो…’, किरेन रिजिजू ने राहुल गांधी को लिया आड़े हाथ

‘जीतते हैं तो सब ठीक होता है और हारते हैं तो…’, किरेन रिजिजू ने राहुल गांधी को लिया आड़े हाथ

by Vikas Kumar
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Kiren Rijiju

रिजिजू ने कहा, “जब वे (कांग्रेस) चुनाव जीतते हैं, तो सब कुछ ठीक होता है. लेकिन, जब वे चुनाव हारते हैं, तो चुनाव आयोग दोषी होता है. यह लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश है.”

Kiren Rijiju attacks Rahul Gandhi: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी को आड़े हाथों लिया. किरेन रिजिजू ने कहा कि राहुल गांधी संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करने के लिए दुर्भावनापूर्ण अभियान चला रहे हैं. रिजिजू ने राहुल गांधी पर देश में लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश के तहत चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करने के लिए “खतरनाक व्यवहार” करने और “दुर्भावनापूर्ण अभियान” चलाने का आरोप लगाया. चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए राहुल गांधी की “वोट चोरी” वाली टिप्पणी पर पलटवार करते हुए, रिजिजू ने कहा कि कांग्रेस नेता लगातार चुनाव हारने के बाद चुनाव आयोग के खिलाफ अभियान चलाकर “बचकाना” व्यवहार कर रहे हैं.

‘चुनाव हारने पर लगता हैं आरोप’

संसदीय कार्य मंत्री रिजिजू ने कहा, “जब वे (कांग्रेस) चुनाव जीतते हैं, तो सब कुछ ठीक होता है. लेकिन, जब वे चुनाव हारते हैं, तो चुनाव आयोग दोषी होता है. यह लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश है.” 21 जुलाई से शुरू हुए संसद के मॉनसून सत्र में इस साल के अंत में होने वाले चुनावों से पहले बिहार में मतदाता सूची के संशोधन पर विपक्ष के विरोध के बाद बार-बार व्यवधान देखा गया है. रिजिजू ने राहुल गांधी पर संवैधानिक संस्थाओं के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण अभियान चलाने का आरोप लगाया और इसे “खतरनाक व्यवहार और दृष्टिकोण” करार दिया. उन्होंने कहा, “लोग कहने लगे हैं कि राहुल गांधी देश की छवि खराब करने के लिए एक गंदा खेल खेल रहे हैं.” मंत्री ने कहा कि अन्य विपक्षी दलों ने भी कहना शुरू कर दिया है कि गांधी देश को नुकसान पहुंचाने के लिए एक बहुत ही खतरनाक खेल खेल रहे हैं.

क्या है SIR?

बिहार में SIR (Special Intensive Revision) का मुद्दा मतदाता सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया से जुड़ा है, जिसे चुनाव आयोग ने 24 जून 2025 को शुरू किया. इसका उद्देश्य गलत या अनुपस्थित मतदाताओं के नाम हटाकर और नए योग्य मतदाताओं को जोड़कर सूची को सटीक बनाना है. लेकिन विपक्षी दलों का आरोप है कि यह प्रक्रिया मतदाताओं को वोट देने के अधिकार से वंचित कर सकती है, खासकर गरीब और प्रवासी मजदूरों को. वे कहते हैं कि 11 दस्तावेजों की मांग और कम समय के कारण कई लोग सूची से बाहर हो सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट में भी इसकी सुनवाई हो रही है, जहां आयोग से आधार और वोटर आईडी जैसे दस्तावेज स्वीकार करने को कहा गया। 35 लाख मतदाताओं के गायब होने की बात ने विवाद को और बढ़ा दिया है.

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