1947 में जब पाकिस्तान ने भारत से स्वतंत्रता प्राप्त की, तब कराची को इसकी पहली राजधानी के रूप में चुना गया. कराची, जो उस समय एक प्रमुख बंदरगाह और आर्थिक केंद्र था.
Karachi to Islamabad: पाकिस्तान की राजधानी का इतिहास बड़ा ही रोचक है. इसके रणनीतिक मायने भी हैं. 1947 में जब पाकिस्तान ने भारत से स्वतंत्रता प्राप्त की, तब कराची को इसकी पहली राजधानी के रूप में चुना गया. कराची, जो उस समय एक प्रमुख बंदरगाह और आर्थिक केंद्र था, को पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने अपनी पसंद के कारण राजधानी बनाया. यह शहर न केवल व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र था, बल्कि जिन्ना का व्यक्तिगत लगाव भी इससे था, क्योंकि बंटवारे के बाद भारत से आए लाखों प्रवासियों (मुहाजिरों) ने यहीं शरण ली थी. लेकिन कराची की बढ़ती जनसंख्या और अन्य चुनौतियों ने इसे राजधानी के रूप में बनाए रखना मुश्किल बना दिया, जिसके परिणामस्वरूप राजधानी को इस्लामाबाद स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया.
1959 तक पाक की राजधानी रही कराची
पाकिस्तान का प्रमुख शहर कराची 1959 तक देश की राजधानी रही. इस दौरान शहर की आबादी तेजी से बढ़ी और 60 लाख के करीब पहुंच गई. इससे नागरिक सुविधाओं, स्वच्छता और सुरक्षा व्यवस्था में कई समस्याएं सामने आईं. कराची का तटीय स्थान और वहां की भीड़भाड़ इसे प्रशासनिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से कम उपयुक्त बनाती थी. इसके अलावा कराची का दक्षिणी स्थान देश के उत्तरी और मध्य क्षेत्रों से दूरी के कारण प्रशासनिक कार्यों में असुविधा पैदा करता था. इन कारणों से तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने 1958 में एक नई राजधानी के निर्माण का फैसला किया. शुरुआत में राजधानी को अस्थायी रूप से रावलपिंडी स्थानांतरित किया गया, जो पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय के नजदीक था. इस्लामाबाद को 1960 के दशक में एक नियोजित शहर के रूप में विकसित किया गया. 14 अगस्त 1967 को यह आधिकारिक रूप से पाकिस्तान की राजधानी बन गई. इसका निर्माण कार्य 1960 में शुरू हुआ था. इस्लामाबाद का चयन कई रणनीतिक और भौगोलिक कारणों से किया गया.
इस्लामाबाद को यूनानी वास्तुकार ने किया था डिजाइन
प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर इस्लामाबाद शहर मार्गला पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है. इसके अलावा इस्लामाबाद का स्थान देश के उत्तरी भाग में होने के कारण इसे प्रशासनिक और सैन्य केंद्रों के करीब रखता था, विशेष रूप से रावलपिंडी में स्थित सैन्य मुख्यालय के. इस्लामाबाद को यूनानी वास्तुकार कॉन्स्टैंटिनोस अपोस्टोलो डॉक्सियाडिस ने डिजाइन किया था, जिन्होंने इसे एक आधुनिक और व्यवस्थित शहर के रूप में विकसित किया. इसमें प्रशासनिक क्षेत्र, राजनयिक परिसर, आवासीय क्षेत्र, शैक्षिक और औद्योगिक क्षेत्रों को अलग-अलग जोन में बांटा गया, ताकि शहर की कार्यक्षमता और सुंदरता बनी रहे. इस्लामाबाद को राजधानी बनाने का एक अन्य कारण भारत के साथ सीमा विवाद विशेषकर कश्मीर मुद्दे पर रणनीतिक स्थिति थी. इस्लामाबाद का उत्तरी स्थान इसे सैन्य और सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बनाता था. साथ ही कराची की तुलना में इस्लामाबाद कम भीड़भाड़ वाला और अधिक सुरक्षित था. यह शहर आज अपनी हरियाली, स्वच्छता और उच्च जीवन स्तर के लिए जाना जाता है. इस बदलाव ने न केवल पाकिस्तान के प्रशासनिक ढांचे को मजबूत किया, बल्कि एक नए नियोजित शहर के रूप में इस्लामाबाद को वैश्विक पहचान भी दिलाई.
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