उच्च न्यायालय ने अधिकारी की पत्नी सीमा रानी के खिलाफ नाबालिग लड़की का गर्भपात कराने और सबूतों को गायब करने के आरोपों को भी बरकरार रखा.
New Delhi: दिल्ली उच्च न्यायालय ने निलंबित दिल्ली सरकार के अधिकारी प्रेमोदय खाखा के खिलाफ तय आरोपों को खारिज करने से इनकार कर दिया है. निलंबित अधिकारी पर आरोप है कि उसने एक नाबालिग लड़की के साथ कई बार रेप किया. उच्च न्यायालय ने अधिकारी की पत्नी सीमा रानी के खिलाफ नाबालिग लड़की का गर्भपात कराने और सबूतों को गायब करने के आरोपों को भी बरकरार रखा. न्यायालय ने जानकारी होने के बावजूद अपराध की रिपोर्ट न करने के लिए पोक्सो अधिनियम की धारा 21 के तहत उसके दो बच्चों और पत्नी के खिलाफ लगाए गए आरोप को भी खारिज करने से इनकार कर दिया.
आरोपी की दलील को कोर्ट ने किया खारिज
न्यायमूर्ति स्वर्ण काना शर्मा ने 15 जुलाई को पारित और 28 जुलाई को उपलब्ध कराए गए फैसले में कहा कि इस अदालत का मानना है कि सत्र न्यायालय द्वारा याचिकाकर्ता प्रेमोदय खाखा के खिलाफ आईपीसी की धारा 376(2)(एफ), 376(3), 323 और 354 और पोक्सो अधिनियम की धारा 6 और 8 के तहत आरोप तय करने के आदेश में कोई विकृति या कानूनी दुर्बलता नहीं है. उसके प्रति विश्वास या अधिकार की स्थिति में होना और 16 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ रेप करना और उसे चोट पहुंचाना. अदालत ने प्रेमोदय की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि उसके खिलाफ लगे आरोपों को खारिज कर दिया जाना चाहिए या उसे इस आधार पर बरी कर दिया जाना चाहिए कि उसने पहले नसबंदी करा ली थी और वह कथित तौर पर पीड़िता को गर्भवती नहीं कर सकता था. आरोपी ने दलील दी थी कि अगर लड़की के आरोपों को सच मान भी लिया जाए तो भी वह गर्भवती नहीं हो सकती थी क्योंकि उसने 2005 में नसबंदी करा ली थी जिससे वह कथित तौर पर प्रजनन के लिए अक्षम हो गया था.
न्यायिक हिरासत में है अधिकारी
इस संबंध में सत्र अदालत ने सही टिप्पणी की है कि नसबंदी कराने मात्र से यह निर्णायक रूप से स्थापित नहीं होता कि आरोपी यौन उत्पीड़न करने या पीड़िता को गर्भवती करने में असमर्थ था. उच्च न्यायालय ने कहा कि यह सही कहा गया है कि नसबंदी एक चिकित्सा प्रक्रिया के रूप में अचूक नहीं है और ऐसे चिकित्सकीय दस्तावेज हैं जिनमें पुरुष साथी द्वारा ऐसी प्रक्रिया कराने के बावजूद गर्भधारण होने के मामले सामने आए हैं. प्रेमोदय पर नवंबर 2020 से जनवरी 2021 के बीच अपने एक परिचित की नाबालिग बेटी के साथ कई बार रेप करने का आरोप है. अगस्त 2023 में गिरफ्तारी के बाद से वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है. अधिकारी की पत्नी सीमा रानी ने कथित तौर पर लड़की को गर्भपात कराने के लिए दवाइयां दीं. वह भी न्यायिक हिरासत में है. उच्च न्यायालय ने प्रेमोदय,सीमा, उनके बेटे हर्ष प्रतीक और बेटी प्रतीक्षा की उन याचिकाओं को खारिज करते हुए यह आदेश दिया, जिनमें निचली अदालत द्वारा उनके खिलाफ आरोप तय करने को चुनौती दी गई थी.
आरोपी पर पॉक्सो अधिनियम के तहत केस दर्ज
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि निचली अदालत ने जो आदेश दिया है, उस आदेश में कोई कानूनी कमी नहीं है. सीमा और उनके दो बच्चों के खिलाफ आरोपों को बरकरार रखते हुए अदालत ने कहा कि उन्हें जानकारी होने के बावजूद घटना की सूचना अधिकारियों को नहीं दी गई. अदालत ने कहा कि अभियोक्ता के स्पष्ट बयानों और आसपास की परिस्थितियों सहित रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री पर्याप्त रूप से संकेत देती है कि उक्त आरोपी अपराध के बारे में जानते थे और संबंधित अधिकारियों को इसकी सूचना देने में विफल रहे. पीड़िता द्वारा एक अस्पताल में मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज कराने के बाद पति-पत्नी को अगस्त 2023 में गिरफ्तार किया गया था. उनके बच्चों को जनवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत दे दी थी. आरोपी पर पॉक्सो एक्ट और भारतीय दंड संहिता के तहत केस दर्ज किया गया था.
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