Jaishankar Prasad in Russia: जयशंकर ने कहा कि हमारा मानना है कि भारत और रूस के बीच संबंध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया के सबसे स्थिर संबंधों में से एक रहे हैं.
Jaishankar Prasad in Russia: भारत और रूस ने गुरुवार को अपने द्विपक्षीय व्यापार को संतुलित और टिकाऊ तरीके से बढ़ाने का संकल्प लिया. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गैर-टैरिफ बाधाओं और नियामक बाधाओं को तेजी से दूर करने की आवश्यकता पर बल दिया. दोनों देशों द्वारा रूस को भारतीय निर्यात बढ़ाने सहित दोतरफा व्यापार को बढ़ाने का संकल्प, व्यापार और टैरिफ पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों को लेकर भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में बढ़ते मनमुटाव के बीच आया है. जयशंकर ने अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ व्यापक वार्ता के बाद एक संयुक्त मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि हमारा मानना है कि भारत और रूस के बीच संबंध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया के सबसे स्थिर संबंधों में से एक रहे हैं. उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक अभिसरण, नेतृत्व संपर्क और लोकप्रिय भावना इसके प्रमुख प्रेरक बने हुए हैं. विदेश मंत्री मंगलवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नवंबर या दिसंबर में होने वाली भारत यात्रा के विभिन्न पहलुओं को अंतिम रूप देने के लिए मास्को पहुंचे.

आतंकवाद से निपटने पर चर्चा
अपनी बातचीत में जयशंकर और लावरोव ने आतंकवाद से निपटने के तरीकों पर भी विचार-विमर्श किया. विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर हमने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ संयुक्त रूप से लड़ने का संकल्प लिया. उन्होंने आगे कहा कि मैंने आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहिष्णुता की नीति अपनाने और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ अपने नागरिकों की रक्षा करने के हमारे संप्रभु अधिकार के प्रति भारत के दृढ़ संकल्प से अवगत कराया. जयशंकर की टिप्पणियों से ऐसा प्रतीत हुआ कि मंटुरोव और लावरोव दोनों के साथ उनकी बातचीत का मुख्य फोकस दोतरफा व्यापार को बढ़ावा देना था. उन्होंने कहा कि इसके लिए गैर-टैरिफ बाधाओं और नियामक बाधाओं को तेज़ी से दूर करने की आवश्यकता है. फार्मास्यूटिकल्स, कृषि और वस्त्र जैसे क्षेत्रों में रूस को भारतीय निर्यात बढ़ाने से निश्चित रूप से मौजूदा असंतुलन को ठीक करने में मदद मिलेगी.
यूक्रेन और अफगानिस्तान के हालात पर भी विमर्श
उन्होंने कहा कि उर्वरकों की दीर्घकालिक आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाए गए. भारतीय कुशल श्रमिक, विशेष रूप से आईटी, निर्माण और इंजीनियरिंग में, रूस में श्रम आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं और सहयोग को गहरा कर सकते हैं. जयशंकर ने कहा कि व्यापार और निवेश के माध्यम से ऊर्जा सहयोग को बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है. विदेश मंत्री ने रूसी सेना में सेवारत कुछ भारतीयों का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि हालांकि कई लोगों को रिहा कर दिया गया है, फिर भी कुछ मामले लंबित हैं और कुछ लापता हैं. हमें उम्मीद है कि रूसी पक्ष इन मामलों को शीघ्रता से सुलझाएगा. बैठक में, जयशंकर और लावरोव ने वैश्विक शासन में सुधार के लिए भारत और रूस की साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की. उन्होंने कहा कि हमने समकालीन वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार और ऊर्जावर्धन करने की अनिवार्यता को रेखांकित किया. जी-20, ब्रिक्स और एससीओ में हमारा सहयोग गहरा और दूरदर्शी बना हुआ है. दोनों पक्षों ने यूक्रेन, पश्चिम एशिया और अफगानिस्तान की स्थिति पर भी विचार-विमर्श किया.
भारत-रूस शिखर सम्मेलन की बनी रूपरेखा
विदेश मंत्री ने वर्ष के अंत में होने वाले वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन की चल रही तैयारियों का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि आज मैं चाहता हूँ कि इन द्विपक्षीय चर्चाओं को आगे बढ़ाया जाए ताकि वार्षिक शिखर सम्मेलन के अधिकतम परिणाम प्राप्त हो सकें. ऐसा माना जा रहा है कि लावरोव के साथ जयशंकर की बातचीत में भारत-रूस ऊर्जा संबंधों पर प्रमुखता से चर्चा हुई. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने इस महीने एक कार्यकारी आदेश जारी कर भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया, जो नई दिल्ली द्वारा रूसी तेल की निरंतर खरीद के लिए दंड के रूप में है. रूसी कच्चे तेल की अपनी खरीद का बचाव करते हुए भारत यह कहता रहा है कि उसकी ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हित और बाजार की गतिशीलता से प्रेरित है. जयशंकर ने बुधवार को रूसी प्रथम उप प्रधान मंत्री डेनिस मंटुरोव के साथ व्यापक वार्ता की.
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