Home Latest News & Updates ‘संसद भवन पर मुरैना और विदिशा के प्राचीन मंदिरों का डिजाइन…’ पर्यटन सम्मेलन में बोले MP CM

‘संसद भवन पर मुरैना और विदिशा के प्राचीन मंदिरों का डिजाइन…’ पर्यटन सम्मेलन में बोले MP CM

by Sachin Kumar
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Madhya Pradesh News : मोहन यादव ने कहा कि देश का पुराना संसद भवन मुरैना के मंदिर का डिजाइन पर बना है और नया भवन विदिशा के बीजामंडल मंदिर की डिजाइन पर बना है.

Madhya Pradesh News : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव (Mohan Yadav) ने बुधवार को कहा कि भारतीय लोकतंत्र के मंदिर (संसद) की वास्तुकला मुरैना और विदिशा के प्राचीन मंदिरों की डिजाइन पर आधारित है. दूसरे वैश्विक आध्यात्मिक पर्यटन सम्मेलन रूह-मंटिक में बोलते हुए एमपी सीएम ने कहा कि उज्जैन समय का शहर है और आज का समय भारत का है. इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जिक्र करते कहा कि उन्होंने हमें आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने का विजन दिया है. देवी अहिल्या बाई ने काशी में बाबा विश्वनाथ का मंदिर बनाया था. उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने 2 हजार साल पहले महाकाल मंदिर बनवाया था, जिसे बाबर के काल में ध्वस्त कर दिया गया था.

संसद पर मुरैना के मंदिर का डिजाइन

मोहन यादव ने कहा कि देश का पुराना संसद भवन मुरैना के मंदिर का डिजाइन पर बना है और नया भवन विदिशा के बीजामंडल मंदिर की डिजाइन पर बना है. यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है और हमारे मंदिर लोकतंत्र का आधार भी बन सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि आत्मचिंतन के लिए दुनिया में भारत से बेहतर कोई जगह नहीं है. भले ही आज देश की सीमा होती हैं लेकिन धर्म और संस्कृति की कोई सीमा नहीं होती है. भारतीय संस्कृति ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान तक फैली है. उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में पर्यटन के साथ-साथ तीर्थाटन के माध्यम से जन कल्याण की परिकल्पना की गई है.

संस्कृति ने 2 हजार साल तक आक्रमण झेला

वहीं, कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मध्य प्रदेश को एक विकसित राज्य बनाने का संकल्प लिया है. देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उल्लेख करते हुए शेखावत ने कहा कि दुनिया में अनेक संस्कृतियों का जन्म हुआ, लेकिन भारतीय संस्कृति आज भी जीवित है. हमारी संस्कृति ने 2 हजार वर्षों तक आक्रमण झेले हैं और करीब 200 वर्षों की गुलामी झेली और उसके बाद भारतीय संस्कृति समृद्ध है. ढाई हजार साल पहले जब मानव संसार में अपना अस्तित्व तलाश रहा था, तब भारत में तीर्थयात्रा की परंपरा थी. उन्होंने आगे कहा कि आदि शंकराचार्य ने फारस तक की यात्रा करके दुनिया को भारतीय संस्कृति से परिचित कराया.

महाकुंभ ने विश्व शांति का संदेश दिया

आधुनिक भारत की सांस्कृतिक एकता के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसका सबसे बड़ा उदाहरण प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ है जहां हर धर्म और संप्रदाय के लिए एकत्रित हुए और विश्व शांति का संदेश दिया. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सैकड़ों साल पहले जब बुनियादी ढांचा इतना विकसित नहीं था, तब भारत के लोग केदारनाथ और बद्रीनाथ की तीर्थयात्रा करते थे. उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में देश की अर्थव्यस्था तेजी से बढ़ी और उज्जैन में पर्यटकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है.

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