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मिजोरम में चूहों का हमला: तीन जिलों में अलर्ट, चावल और सोयाबीन के किसानों की टूटी कमर

by Sanjay Kumar Srivastava
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Rat attack in Mizoram: ममित और लुंगलेई जिले के कई गांवों में चूहों के हमले की सूचना मिली है. सरकार ने स्थिति पर नजर रखने और आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.

Rat attack in Mizoram: मिजोरम सरकार ने तीन जिलों में चूहों के हमले के बाद अकाल जैसी स्थिति को रोकने के लिए अलर्ट जारी किया है. कृषि विभाग के उप निदेशक (पौधा संरक्षण) लालरिंडिकी ने बताया कि यह हमला बम्बूसा तुल्दा (रॉथिंग) नामक बांस प्रजाति के 2025 में 46 साल बाद फूलने से जुड़ा है. ममित और लुंगलेई जिले के कई गांवों में चूहों के हमले की सूचना मिली है. सरकार ने स्थिति पर नजर रखने और आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने बताया कि सैतुअल जिले के लीलाक गांव से भी चूहों के हमले की खबर मिली है. उन्होंने बताया कि विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार है. लालरिंडिकी ने बताया कि 800 झूम किसान, जो मुख्य रूप से चावल और सोयाबीन उगाते हैं, चूहों के हमलों से प्रभावित हुए हैं. उन्होंने बताया कि झूम खेती के तहत 2,500 हेक्टेयर भूमि में से लगभग 158 हेक्टेयर भूमि पर अब तक आक्रमण हो चुका है. त्रिपुरा और बांग्लादेश की सीमा से लगा ममित जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां 45 गांवों के 769 किसान इन हमलों का सामना कर रहे हैं.

कृषि विभाग रख रहा हालात पर नजर

उन्होंने कहा कि चूहों को मारने वाले रसायन या पौध संरक्षण रसायन वितरित किए गए हैं और कृषि विभाग की टीमों को प्रभावित गांवों में किसानों और ग्राम परिषद के नेताओं को इनका इस्तेमाल करने का तरीका बताने के लिए भेजा गया है. उन्होंने कहा कि चूहों के बड़े पैमाने पर जहर के बारे में जागरूकता फैलाई जा रही है और विभाग स्थिति पर करीब से नजर रख रहा है. लालरिंडिकी ने कहा कि जिला कृषि अधिकारियों को स्थिति पर साप्ताहिक अपडेट देने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने कहा कि अभी तक केवल पारंपरिक झूम धान के खेतों और कुछ सोयाबीन के बागानों में ही आक्रमण की सूचना मिली है. उन्होंने कहा कि यह गीले चावल की खेती में भी फैल गया है.’थिंगटम’, जो 48 साल के चक्र में दोहराया जाता है, राज्य में आखिरी बार 1977 में हुआ था. मिजोरम ने 2022 में आखिरी बार कृंतक हमले की सूचना दी, जिसके दौरान कम से कम नौ जिले प्रभावित हुए थे.

70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर

मेलोकैना बैक्सीफेरा के फूलने के कारण मिजोरम ने 2007 में अकाल जैसी स्थिति का सामना किया. हालांकि, केंद्र से समय पर वित्तीय सहायता और राज्य सरकार द्वारा व्यापक तैयारी के कारण किसी की मृत्यु नहीं हुई. राज्य की लगभग 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है. मुख्य कृषि पद्धति स्लैश-एंड-बर्न झूम या स्थानांतरित खेती है, जो खराब उपज देती है. सरकार के व्यापक प्रयासों के कारण झूम कृषि पद्धतियों को धीरे-धीरे बागवानी या सुपारी, अंगूर और अनानास जैसे दीर्घकालिक वृक्षारोपण द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है. मिजोरम का गठन भी अकाल से निकटता से संबंधित था. पूर्ववर्ती भूमिगत मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के नेतृत्व में दो दशक लंबा विद्रोह कथित तौर पर ‘मौतम’ या अकाल के कारण मिजो लोगों की दुर्दशा के प्रति केंद्र की लापरवाही के कारण शुरू हुआ था. एमएनएफ ने 1986 में केंद्र के साथ एक ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए और मिजोरम 1987 में देश का 23वां राज्य बन गया.

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