Supreme Court: पीठ ने दो फरार पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने में देरी के लिए मध्य प्रदेश सरकार और सीबीआई को फटकार लगाई और अवमानना कार्रवाई की चेतावनी दी.
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 24 वर्षीय एक युवक की हिरासत में मौत के मामले में शामिल दो पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी में देरी पर सीबीआई और मध्य प्रदेश सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है. जब CBI ने कोर्ट को सूचित किया कि दोनों फरार पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, तब न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने यह आदेश पारित किया. शीर्ष अदालत ने कहा कि 15 मई के आदेश के बावजूद अधिकारियों को गिरफ्तार नहीं किया गया और राज्य सरकार ने अवमानना याचिका दायर होने और उसकी टिप्पणियों के बाद ही कार्रवाई की. इतने दिनों में क्या हुआ? आप उनका पता क्यों नहीं लगा पाए? हमें आपके खिलाफ अवमानना के आरोप लगाने ही होंगे ताकि आप कार्रवाई कर सकें. सुप्रीम कोर्ट के आदेश को इस तरह लागू नहीं किया जाना चाहिए. गिरफ्तारी के लिए तीन जजों की बेंच का आदेश था.
अगली सुनवाई 6 नवंबर को
बेंच ने कहा कि दोनों अधिकारियों के खिलाफ क्या विभागीय कार्रवाई हुई? इस अदालत के आदेश के बावजूद कि उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए, उन्होंने अग्रिम ज़मानत के लिए अर्ज़ी दी? सुनवाई के दौरान CBI की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजा ठाकरे ने अदालत को बताया कि सीबीआई ने अपने आदेश का पालन किया है और दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है. उत्तम सिंह को 27 सितंबर को इंदौर में गिरफ्तार किया गया था, जबकि संजीव सिंह को 5 अक्टूबर को शिवपुरी में हिरासत में लिया गया था. वे वर्तमान में इंदौर जेल में बंद हैं. बेंच ने राज्य सरकार को यह भी बताने का निर्देश दिया कि दोनों अधिकारियों के खिलाफ क्या विभागीय कार्रवाई की गई है. मामले की सुनवाई अब 6 नवंबर को निर्धारित की गई है. शीर्ष अदालत मृतक की मां की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें शीर्ष अदालत के 15 मई के आदेश का पालन न करने का आरोप लगाया गया था.
CBI को लगी फटकार
15 मई को शीर्ष अदालत ने कथित हिरासत में मौत में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार को फटकार लगाई थी और जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को स्थानांतरित कर दी थी. इसके बाद शीर्ष अदालत ने कथित हिरासत में मौत में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार को फटकार लगाई और जांच सीबीआई को स्थानांतरित कर दी. निवर्तमान जांच अधिकारी ने कहा था कि उन्होंने 30 जून को मामला संभाला था और 2 जुलाई को उन्होंने एक पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार किया था, जो कथित तौर पर हिरासत में यातना में शामिल था, जैसा कि प्रत्यक्षदर्शी ने खुलासा किया था. 25 सितंबर को मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने दो फरार पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने में देरी के लिए मध्य प्रदेश सरकार और सीबीआई को फटकार लगाई और अवमानना कार्रवाई की चेतावनी दी. इसने कहा कि पुलिस अधिकारी अप्रैल से फरार थे लेकिन उन्हें निलंबित नहीं किया गया था. सीबीआई के वकील ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि दोनों अधिकारियों को 1 अक्टूबर को निलंबित कर दिया गया था.
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