Home राज्यMaharashtra वकील असीम सरोदे के समर्थन में आए उद्धव ठाकरे, बोले- सच बोलना देशद्रोह है तो, हम…

वकील असीम सरोदे के समर्थन में आए उद्धव ठाकरे, बोले- सच बोलना देशद्रोह है तो, हम…

by Sachin Kumar
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Suspension license Uddhav supports advocate Asim Sarode

Maharashtra Politics : उद्धव ठाकरे ने कहा कि यह लोगों को आज्ञाकारी बनाने की साजिश है. वर्तमान में भारत में सत्य के लिए संघर्ष करना ही होगा. हम सभी स्वतंत्रताप्रेमी नागरिक असीम के साथ मजबूती से खड़े हैं.

Maharashtra Politics : महाराष्ट्र में वरिष्ठ वकील असीम सरोदे का वकालत लाइसेंस तीन महीने के लिए रद्द करने पर राज्य की राजनीति घमासान मच गया है. इस मुद्दे पर अब पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (UBT) के प्रमुख उद्धव ठाकरे की भी एंट्री हो गई है और उन्होंने अधिवक्ता असीम सरोदे का समर्थन किया है. ठाकरे ने आरोप लगाया कि असहमति को दबाने और नागरिकों पर एक प्रकार की गुलामी थोपने का प्रयास किया जा रहा है. मामला यह है कि असीम सरोदे ने तत्काली महाराष्ट्र के राज्य और विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ टिप्पणी कर दी थी, जिसके बाद बार काउंसिल ने ये एक्शन लिया. काउंसिल ने कहा कि अधिवक्ता ने प्रोफेशनल मिसकंडक्ट किया है, जिसका उन्होंने खंडन किया है.

सत्य के लिए संघर्ष करना होगा : ठाकरे

उद्धव ठाकरे ने कहा कि यह लोगों को आज्ञाकारी बनाने की साजिश है. वर्तमान में भारत में सत्य के लिए संघर्ष करना ही होगा. हम सभी स्वतंत्रताप्रेमी नागरिक असीम के साथ मजबूती से खड़े हैं. उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मौजूदा सरकार अपने खिलाफ उठने आवाज को राष्ट्र विरोधी मानती है और ऐसी प्रवृत्ति सरकार को लोकतंत्र से काफी दूर ले जाने का काम करती है. ठाकरे ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज और महात्मा ज्योतिराव फुले का अपमान करना क्षम्य हैं? यहां तक कि जब सर्वोच्च न्यायालय सरकार की आलोचना करता है तब भी कोई नहीं बोलता है. लेकिन अन्याय के खिलाफ बोलना और सच उजागर करना अपराध माना जाता है.

शिकायत करने बाद लिया एक्शन

सरोदे के खिलाफ यह एक्शन राजेश दाभोलकर नाम के व्यक्ति की तरफ से शिकायत दर्ज करने के बाद लिया गया है. शिकायत के मुताबिक, पुणे के इस वकील ने पिछले साल मार्च में मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान अपने भाषण में भारत की न्याय व्यवस्था, राज्य विधानसभा अध्यक्ष और महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे. अब बार काउंसिल की अनुशासन समिति ने कहा कि सरोदे की टिप्पणियों ने न्यायपालिका के अधिकार को स्पष्ट रूप से कमजोर किया है, जिससे यह धारणा बनी है कि न्यायिक यह धारणा बनी है कि न्यायिक प्रणाली दबाव में है और समझौतावादी है. साथ ही न्यायपालिका में भ्रष्टाचार है.

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