Court decision: महाराष्ट्र के ठाणे में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म मामले में आठ साल बाद फैसला आया. ठाणे की एक अदालत ने 2017 में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म करने के जुर्म में आरोपी को तीन साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है.
Court decision: महाराष्ट्र के ठाणे में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म मामले में आठ साल बाद फैसला आया. ठाणे की एक अदालत ने 2017 में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म करने के जुर्म में आरोपी को तीन साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने कहा कि समाज को स्पष्ट संदेश देने के लिए ऐसे अपराधों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डीएस देशमुख ने शुक्रवार को अपने फैसले में 38 वर्षीय आरोपी को भारतीय दंड संहिता और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत विभिन्न अपराधों के लिए दोषी ठहराया. हालांकि न्यायाधीश ने सजा सुनाते समय आरोपी की पारिवारिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए नरम रुख अपनाया, क्योंकि उसने प्रार्थना की कि उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और उसके परिवार की देखभाल करने वाला कोई नहीं है.
24 अक्टूबर, 2017 को हुई थी घटना
घटना 24 अक्टूबर, 2017 को हुई थी. पीड़िता उस समय 12 वर्ष की थी और महाराष्ट्र के ठाणे जिले के मीरा रोड इलाके में एक आवासीय परिसर की लिफ्ट में अकेली थी. विशेष लोक अभियोजक संजय लोंधे ने अदालत को बताया कि आरोपी पीड़िता का पड़ोसी था. वह लिफ्ट में घुस गया और दरवाजा बंद कर दिया. इसके बाद आरोपी ने लड़की का यौन उत्पीड़न किया. पीड़िता की मां ने गवाही दी कि भयभीत बच्ची ने तुरंत उसे घटना की जानकारी दी. अभियोजन पक्ष का मामला मुख्य रूप से पीड़िता की गवाही पर आधारित था, जिसकी पुष्टि उसकी मां के बयान से हुई थी. अदालत ने कहा कि विभिन्न निर्णयों में यह माना गया है कि यौन उत्पीड़न के मामलों में पीड़िता की एकमात्र गवाही ही आरोपी को अपराध के लिए दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त होगी. न्यायाधीश ने बचाव पक्ष की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि पीड़िता ने घटना की तुरंत सूचना चौकीदार को नहीं दी थी. यह पीड़िता द्वारा आरोपी को बदनाम करने की साजिश थी.
आरोपी पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी
इस पर अदालत ने कहा कि पीड़िता की गवाही ही आरोपी द्वारा किए गए कृत्य के प्रति विश्वास जगाती है. खासकर तब जब घटना के वक्त आरोपी ने उसे अपनी हवस मिटाने के लिए लिफ्ट में अकेला पाया. न्यायाधीश ने निष्कर्ष निकाला कि यौन उत्पीड़न के कृत्य को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और ऐसे अपराधों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए. न्यायाधीश ने कहा कि दी गई सज़ा का उद्देश्य समाज को एक स्पष्ट संदेश देना है. अदालत ने आरोपी पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया और निर्देश दिया कि यह जुर्माना पीड़िता को मुआवजे के रूप में दिया जाए. अदालत ने पीड़िता को अतिरिक्त मुआवजे के प्रावधान के लिए मामले को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) को भेजने की सिफारिश की.
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