New US Sanctions : अमेरिका की तरफ से छिड़े टैरिफ वार की वजह से सभी देश उससे समझौता करने के लिए मजबूर हो रहे हैं. इसी कड़ी में भारत भी लगातार अमेरिकी प्रतिनिधित्व से बात कर रहा है.
New US Sanctions : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump) की तरफ से दुनिया भर के देशों पर टैरिफ लगाने का मामले ने खलबली मचा रखी है. इसी कड़ी में भारत भी अमेरिका से ट्रेड डील करने में जुटा है. इसके अलावा कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि अमेरिका की तरफ से लगातार भारत पर दबाव बनाने की वजह से रूस से आयातित होने वाले क्रूड ऑयल में कमी आ सकती है. विशेषज्ञों ने कहा कि भारत का रूसी क्रूड ऑयल (पेट्रोल और डीजल) के इम्पोर्ट जल्द ही तेजी से कम होने की पूरी उम्मीद है, लेकिन पूरी तरह से बंद नहीं होगा. वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति ने रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनी रोसनेफ्ट (Rosneft) और लुकोइल (Lukoil) पर अमेरिका की तरफ से लगाया गया बैन 21 नवंबर से प्रभावी हो गया है. अब इससे जुड़े क्रूड ऑयल फर्म में में एक ‘सैंक्शन्ड मॉलिक्यूल’ बन गए हैं.
रूसी तेल के प्राइज में आई गिरावट
इस साल रूस से भारत का क्रूड ऑयल इम्पोर्ट 1.7 मिलियन बैरल प्रति दिन रहा और नवंबर में 1.8-1.9 मिलियन आयात होने का अनुमान है. मामला यह है कि रिफाइनर डिस्काउंटेड खरीद को ज्यादा से ज्यादा कर रहे हैं. पारंपरिक रूप से मिडिल ईस्ट के तेल पर निर्भर भारत ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद रूस से अपने इम्पोर्ट में काफी बढ़ोतरी की. बताया जा रहा है कि पश्चिम देशों की तरफ लगाए प्रतिबंध और यूरोप में कम डिमांड की वजह से रूसी तेल भारी डिस्काउंट पर मिलने लगा. यही वजह है कि भारत का रूसी क्रूड इंपोर्ट बहुत कम समय में उनसके कुल क्रूड ऑयल इम्पोर्ट के 1 फीसदी से बढ़कर करीब 40 प्रतिशत हो गया है. रूस भारत का टॉप सप्लायर बना रहा, जो खासकर दिसंबर और जनवरी में भारत में रूसी क्रूड ऑयल फ्लो में काफी कमी आई है. हालांकि, 21 अक्टूबर के बाद से लोडिंग पहले के मुकाबले धीमी हो गई है.
इस साल के अंत में आएगी काफी कमी
वहीं, केप्लर के रिफाइनिंग और मॉडलिंग के लीड रिसर्च एनालिस्ट सुमित रिटोलिया ने कहा कि हमें उम्मीद है कि दिसंबर और जनवरी में भारत में रूसी क्रूड ऑयल के फ्लो में काफी कमी देखी जा सकती है. साथ ही 21 अक्टूबर से लोडिंग में पहले धीमी आ चुकी है. प्रतिबंध की वजह से रिलायंस इंडस्ट्रीज, HPCL-मित्तल एनर्जी लिमिटेड और मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड ने फिलहाल के लिए इंपोर्ट को रोक दिया है. अब कोई भी भारतीय रिफाइनर OFAC-डेसिग्नेटेड एंटिटी के साथ डील करने का रिस्क नहीं उठाना चाहता है. अमेरिका की तरफ से किए एलान ज्यादातर कंपनियों को टारगेट कर रहे हैं.
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