Home Latest News & Updates केंद्र सरकार का बड़ा फैसला: बीमा सेक्टर में अब पूर्ण विदेशी निवेश का रास्ता साफ, विकास को मिलेगी गति

केंद्र सरकार का बड़ा फैसला: बीमा सेक्टर में अब पूर्ण विदेशी निवेश का रास्ता साफ, विकास को मिलेगी गति

by Sanjay Kumar Srivastava
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Nirmala Sitharaman

Insurance Sector: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की सीमा 100 प्रतिशत करने वाले बीमा कानून (संशोधन) विधेयक 2025 को मंजूरी दे दी है.

Insurance Sector: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की सीमा 100 प्रतिशत करने वाले बीमा कानून (संशोधन) विधेयक 2025 को मंजूरी दे दी है. यह विधेयक संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है. शीतकालीन सत्र 19 दिसंबर को समाप्त होगा. यह विधेयक बीमा क्षेत्र की पहुंच बढ़ाने, विकास को गति देने और व्यापार करने में आसानी हो, इस उद्देश्य से लाया गया है. इसे संसद के आगामी एजेंडे में शामिल 13 प्रमुख विधेयकों में स्थान मिला है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस वर्ष के बजट भाषण में नई पीढ़ी के वित्तीय क्षेत्र सुधारों के तहत बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा था.

एलआईसी को मिलेंगे और अधिकार

अब तक बीमा क्षेत्र ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के माध्यम से 82,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं. वित्त मंत्रालय ने बीमा अधिनियम 1938 के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा है, जिसमें बीमा क्षेत्र में FDI को 100 प्रतिशत तक बढ़ाना, चुकता पूंजी को कम करना और एक समग्र लाइसेंस लागू करना शामिल है. वित्त मंत्री ने कहा कि एक व्यापक विधायी प्रक्रिया के अंतर्गत जीवन बीमा निगम अधिनियम 1956 और बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम 1999 के साथ-साथ बीमा अधिनियम 1938 में संशोधन किया जाएगा. एलआईसी अधिनियम में संशोधन के तहत इसके बोर्ड को शाखा विस्तार और भर्ती जैसे परिचालन संबंधी निर्णय लेने का अधिकार दिया जाएगा.

पॉलिसीधारकों के हित रहेंगे सुरक्षित

प्रस्तावित संशोधन का मुख्य उद्देश्य पॉलिसीधारकों के हितों को बढ़ावा देना, उनकी वित्तीय सुरक्षा बढ़ाना और बीमा बाजार में नए खिलाड़ियों के प्रवेश को सुगम बनाना है, जिससे आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को गति मिलेगी. सीता रमण ने कहा कि ऐसे बदलाव बीमा उद्योग की दक्षता बढ़ाने, व्यापार करने में सुगमता लाने और बीमा कवरेज को बढ़ाने में सहायक होंगे, जिससे 2047 तक सभी के लिए बीमा का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकेगा. भारत में बीमा के लिए विधायी ढांचा प्रदान करने वाला प्रमुख अधिनियम 1938 का बीमा अधिनियम है. यह बीमा व्यवसायों के संचालन के लिए बीमाकर्ताओं, पॉलिसीधारकों, शेयरधारकों और नियामक, आईआरडीएआई के बीच संबंधों को नियंत्रित करता है.

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