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Delhi Water Crisis: ‘यमुना रिवर बोर्ड इमरजेंसी बैठक करें’ SC ने सुनाया- 3 राज्य सरकारों को शामिल होने का भी फरमान

by Live Times
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Delhi Water Crisis

Delhi Water Crisis : देश की राजधानी दिल्ली में पानी का संकट गहराता जा रहा है. जल संकट का यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार की अतिरिक्त पानी के लिए याचिका पर अपर यमुना रिवर बोर्ड की पांच जून को इमरजेंसी मीटिंग बुलाने के लिए कहा है.

03 June, 2024

Delhi Water Crisis : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि ‘अपर यमुना रिवर बोर्ड’ (यूवाईआरबी) की इमरजेंसी मीटिंग पांच जून को बुलाई जाए ताकि दिल्ली में पानी की कमी की समस्या से सही तरीके से निपटा जा सके. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सरकार की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें दिल्ली सरकार ने दिल्ली को हिमाचल प्रदेश की तरफ से उपलब्ध कराया जाने वाला अतिरिक्त पानी छोड़े जाने का हरियाणा को निर्देश देने का अनुरोध किया है.

पानी की समस्या का हो समाधान

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पीके मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की वैकेशन बैंच ने कहा कि केंद्र दिल्ली, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकीलों ने इस पर सहमति जताई कि दिल्ली में पानी की कमी के मुद्दे से निपटने के लिए यूवाईआरबी की एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई जाए. पीठ ने कहा कि सुनवाई के दौरान सभी पक्ष सहमत हुए कि दिल्ली के नागरिकों के लिए पानी की कमी की समस्या का ऐसा समाधान होना चाहिए, जिसमें सभी पक्षों के सभी हित पूरे होते हों.

नागरिकों की समस्या दूर हो

पीठ ने कहा कि वकील सहमत हो गए हैं कि इस याचिका में उठाए मुद्दों का समाधान करने के लिए 05 जून को अपर यमुना रीवर बोर्ड की एक इमरजेंसी मीटिंग होनी चाहिए और बाकी इससे संबंधित सभी मुद्दों को गंभीरता से लिया जाए ताकि दिल्ली के नागरिकों के लिए पानी की कमी की समस्या का सही तरीके से समाधान किया जा सके.

6 जून हो होगी अगली सुनवाई

पीठ ने यह भी कहा कि इस मामले पर अगली सुनवाई 6 जून को होगी, जिसमें बोर्ड की बैठक और समस्या को हल करने के लिए पक्षकारों की तरफ से उठाए सुझावों पर जानकारी दी जाएगी. दिल्ली की जल मंत्री आतिशी द्वारा दायर याचिका में केंद्र, हरियाणा की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार और हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार को पक्षकार बनाया गया है. याचिका में कहा गया है कि जीवित रहने के लिए पानी जरूरी और बुनियादी मानवाधिकारों में से एक है.

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