Ustad Bismillah Khan Death Anniversary: आज भारत के महान शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खां (Ustad Bismillah Khan) की 15वीं पुण्यतिथि (Bismillah Khan Death Anniversary) है. ऐसे में जानते हैं उनके बारे में कुछ दिलचस्प बातें.
21 March, 2024
Ustad Bismillah Khan Death Anniversary: 21 मार्च को भारत के महान शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खां (Bismillah Khan Shehnai) की 15वीं पुण्यतिथि है. उनका असली नाम कमरुद्दीन खान था. पूरी दुनिया को शहनाई की सुरीली धुन से अवगत कराने वाले उस्ताद बिस्मिल्लाह खां ने अपनी पूरी जिंदगी संगीत को अर्पण कर दी थी. यही वजह है कि उत्साद अपनी शहनाई को ही बेगम कहा करते थे.
हमेशा मिला संगीत से भरा माहौल
उस्ताद बिस्मिल्लाह खां को बचपन से ही संगीत से भरा माहौल मिला. उनके पिता का नाम पैगम्बर बख्श खान था जो एक कोर्ट म्यूज़िशियन थे. उनके परिवार के ज्यादातर लोगों का संगीत से गहरा रिश्ता रहा है. उनके दादा भी शहनाई बजाया करते थे. जब उनका जन्म हुआ तब उन्हें देखते ही दादा के मुंह से पहला शब्द बिस्मिल्लाह निकला. यही वजह है कि उनका नाम बिस्मिल्लाह रखा गया. 6 साल के हुए तो मामा के घर (बनारस) ईद मनाने गए तो वहीं के होकर रह गए.
कई देशों में शहनाई
बिस्मिल्लाह के मामा अली बख्श मंदिर में शहनाई बजाया करते थे. मामा की शहनाई की धुन सुनते-सुनते उनका भी संगीत से रिश्ता कायम हो गया. उन्हें पहला ब्रेक मिला साल 1937 में जब बिस्मिल्लाह ने ऑल इंडिया म्यूज़िक कॉन्फ्रेंस (कलकत्ता) में अपनी परफॉर्मेंस से लोगों का दिल जीत लिया. इसके बाद उन्होंने कनाडा, बांग्लादेश, इराक, अफ्रीका, अफगानिस्तान, यूएएस और ईरान जैसे कई देशों में अपना हुनर दिखाया.
इंदिरा गांधी भी थीं फैन
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की फैंस में बड़े-बड़े नेता और अभिनेताओं का नाम जुड़ गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनकी शहनाई सुनने के लिए इंदिरा गांधी अक्सर उन्हें आमंत्रित करती थीं. खबर तो ये भी है कि एक बार उस्ताद बिस्मिल्ला खां को अमेरिका से बुलावा आया. उन्हें प्रस्ताव दिया गया कि आप अमेरिका में बस जाओ, हम आपको सभी सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे. हालांकि, उस्ताद बिस्मिल्लाह खां ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. उनका कहना था कि भारत में गंगा है काशी है, यहां बालाजी का मंदिर है, यहां से जाने का मतलब इन सब से बिछड़ना है.
इन फिल्मों में चलाया जादू
उस्ताद बिस्मिल्लाह खां ने कई फिल्मों के लिए भी शहनाई बजाई थी. निर्देशक सत्यजीत रे की फिल्म ‘जलसाघर’ से लेकर ‘गूंज उठी शहनाई’ तक उस्ताद ने अपनी धुन से सबको मदहोश किया. इसके अलावा शाहरुख खान की फिल्म ‘स्वदेश’ के लिए भी उन्होंने मधुर तान छेड़ी थी. आशुतोष गोवारिकर की ये फिल्म साल 2004 में रिलीज़ हुई थी.
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