France Violence : फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ प्रदर्शनकारियों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया है. इस दौरान उपद्रवियों ने सरकारी संपत्तियों को भी भारी नुकसान पहुंचाया.
France Violence : नेपाल के बाद अब फ्रांस की राजधानी पेरिस समेत अन्य जगहों पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शनकारियों ने विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सड़कें जाम कर दी और कुछ जगहों पर उनकी पुलिस के साथ झड़प भी हो गई. बताया जा रहा है शहरों में भारी आगजनी के बाद तनाव काफी फैल गया है और उपद्रवियों ने सरकारी संपत्तियों को भी भारी नुकसान पहुंचाया है. हालात पर काबू पाने के लिए सुरक्षा बलों ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया, जिसके बाद कुछ असामाजिक तत्वों को नुकसान भी पहुंचा है. इसी बीच अब राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) पर दबाव बन गया है और लोगों में देश में चौथी बार प्रधानमंत्री बदले जाने को लेकर गुस्सा है.
देशव्यापी आंदोलन में 250 गिरफ्तारियां
सरकार के गृह मंत्रालय ने इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ बजट कटौती और अन्य शिकायतों के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शनों के पहले दिन करीब 250 गिरफ्तारियां की हैं. प्रदर्शनकारियों ने सरकार को खुली चेतावनी दी है कि वे अपने आंदोलन से सबकुछ ठप कर देंगे. बताया जा रहा है कि शुरुआत में यह आंदोलन ज्यादा खास नहीं रहा लेकिन जब लोगों ने ऑनलाइन ही अपनी मौजूदगी दर्ज करना शुरू कर दिया तो यह ठंडा पड़ा आंदोलन आग की तरह फैल गया. उपद्रवियों ने 80 हजार पुलिसकर्मियों की असाधारण तैनाती के बाद बैरिकेड्स तोड़ दिए. गृह मंत्री ब्रूनो रिटेलउ ने कहा कि पश्चिमी शहर रेनेस में एक बस को आग हवाले कर दिया गया. वहीं, अधिकारियों ने बताया कि दक्षिण पश्चिम में बिजली के तारों में आग लगने से एक लाइन पर ट्रेन सेवाएं रोक दी गईं और दूसरी पर यातायात पूरी तरह बाधित हो गया.
प्रदर्शनकारियों ने मांगा मैक्रों का इस्तीफा
बजट में कटौती की वजह से लगातार विरोध प्रदर्शन फैलता जा रहा है और अब इमैनुएल मैक्रों के इस्तीफे की भी मांग तेज उठने लगी है. वहीं, गृह मंत्री ब्रूनो रेतेयो ने बताया कि फ्रांस में बंद का आह्वान लेफ्ट पार्टियों ने बुलाया है और इस प्रदर्शन को ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ नाम दिया गया है. बता दें कि जनता के एक बड़े वर्ग को लगने लगा कि मैक्रों की बनाई नीतियां उनके पक्ष में नहीं है और इससे इलीट वर्ग को फायदा पहुंचाया जा रहा है. इसके अलावा मैक्रों सरकार ने कल्याणीकारी योजनाओं में भारी कटौती की है और इसमें निम्न वर्ग के साथ मध्य वर्ग पर भी भारी असर पड़ा है. दूसरी तरफ मैक्रों सरकार ने बीते दो सालों में पांच प्रधानमंत्रियों को बदल दिया है. इससे लोगों में अस्थिरता और असंतोष बढ़ गया है.
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