Home Latest News & Updates ‘प्रेस की आजादी छोड़ो, जिंदा रहना बड़ी बात’, लगातार हो रहे हमलों के बाद बांग्लादेश के पत्रकारों ने बयां किया दर्द

‘प्रेस की आजादी छोड़ो, जिंदा रहना बड़ी बात’, लगातार हो रहे हमलों के बाद बांग्लादेश के पत्रकारों ने बयां किया दर्द

by Neha Singh
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Bangladesh Targets Media

Bangladesh Media: बांग्लादेशी अखबारों के संपादकों ने कहा कि “अभिव्यक्ति की आज़ादी” की जगह अब पत्रकारों के “ज़िंदा रहने के अधिकार” ने ले ली है.

23 December, 2025

Bangladesh Targets Media: बांग्लादेशी अखबारों के संपादकों ने देश में पत्रकारों के साथ हो रही हिंसा पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश का मीडिया मुश्किल दौर से गुज़र रहा है. “अभिव्यक्ति की आज़ादी” की जगह अब पत्रकारों के “ज़िंदा रहने के अधिकार” की चिंता ने ले ली है. ये टिप्पणियां सोमवार को ढाका में गुरुवार रात प्रोथोम आलो और द डेली स्टार अख़बारों के दफ़्तरों में भीड़ द्वारा तोड़फोड़ और आग लगाने की घटना के बाद आईं, जिसमें कई पत्रकार और स्टाफ़ घंटों तक अंदर फंसे रहे क्योंकि पुलिस और फायर ब्रिगेड को शुरू में घटनास्थल पर पहुंचने से रोका गया था.

‘जिंदा रहना जरूरी’

डेली स्टार के संपादक और प्रकाशक महफ़ूज अनम ने वरिष्ठ राजनेताओं, व्यापार नेताओं और मीडिया मालिकों की मौजूदगी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “अभिव्यक्ति की आज़ादी अब मुख्य मुद्दा नहीं है. अब यह ज़िंदा रहने के अधिकार की बात है.” उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में मीडिया अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. अनम ने कहा कि ये हमले पत्रकारों और स्टाफ़ को मारने के मकसद से किए गए थे, न कि किसी खास अख़बार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के तौर पर. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता तो भीड़ इमारतों में आग लगाने से पहले पत्रकारों को वहां से जाने के लिए कहती. इसके बजाय, 26-27 मीडियाकर्मी द डेली स्टार बिल्डिंग की छत पर फंसे हुए थे, जबकि फायर ब्रिगेड को उन तक पहुंचने नहीं दिया गया.

कार्यवाही करने से बच रही पुलिस

उन्होंने सोशल मीडिया संदेशों का भी जिक्र किया, जिसमें कथित तौर पर दोनों अख़बारों के पत्रकारों को उनके घरों में ढूंढकर मारने की बात कही गई थी. इस बीच, ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस (DMP) ने अपने देर से दखल देने का बचाव करते हुए कहा कि तुरंत कार्रवाई करने से स्थिति और बिगड़ सकती थी. DMP के अतिरिक्त कमिश्नर नज़रुल इस्लाम ने पत्रकारों से कहा, “हम वहां कार्रवाई इसलिए नहीं कर पाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी इंसान की जान न जाए.” मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने कहा है कि कट्टरपंथी दक्षिणपंथी युवा नेता शरीफ़ उस्मान हादी की मौत के बाद, दो अखबारों और सांस्कृतिक संगठनों छायानाट और उदिची शिल्पी गोष्ठी के दफ़्तरों पर हुए हमलों के सिलसिले में अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

मीडिया पर लगाया भारत समर्थित होने का आरोप

बता दें, हमलावरों ने अखबारों पर भारत और पूर्व पीएम शेख हसीना के समर्थन में काम करने का आरोप लगाया था. बागंलादेश के हालात छात्र नेता उस्मान हादी की मौत के बाद से बिगड़ते जा रहे हैं. भारत का कट्टर आलोचक, 32 वर्षीय हादी पिछले साल के छात्र आंदोलन का प्रमुख नेता था. हादी को दो बंदूकधारियों ने गोली मार दी थी. छह दिन सिंगापुर में इलाज के बाद पिछले हफ्ते उसकी मौत हो गई. हादी ने भारत को धमकी देते हुए उसे सेवन सिस्टर्स से अलग करने की बात कही थी.

यह भी पढ़ें- ‘अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने में सरकार नाकाम’, बांग्लादेश में पीड़ितों के आरोप

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