पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसीम मुनीर ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुए भारत संग तनाव पर अब एकबार फिर दुनिया को झूठ से गुमराह करने की कोशिश की है.
Pakistan army chief Asim Munir: पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसीम मुनीर ने एकबार फिर भारत के खिलाफ जहर उगला है. पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसीम मुनीर ने सोमवार को भारत की इस बात के लिए आलोचना की कि उसने चार दिवसीय संघर्ष के दौरान इस्लामाबाद को बाहरी समर्थन मिलने का दावा किया था. मुनीर ने कहा कि इस तरह के दावे तथ्यात्मक रूप से गलत हैं. इस्लामाबाद स्थित राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय में स्नातक अधिकारियों को संबोधित करते हुए मुनीर ने दोहराया कि पाकिस्तान की संप्रभुता को कमजोर करने के किसी भी दुस्साहस या प्रयास का बिना किसी बाधा या अवरोध के तुरंत और दृढ़ प्रतिक्रिया के साथ जवाब दिया जाएगा.
आरोपों को बताया गैर जिम्मेदार
आसीम मुनीर ने कहा, “भारत के साथ संघर्ष दौरान पाकिस्तान पर लगे बाहरी समर्थन के आरोप गैर जिम्मेदाराना और तथ्यात्मकर रूप से गलत हैं. पूरी तरह से द्विपक्षीय सैन्य संघर्ष में अन्य राज्यों को भागीदार के रूप में नामित करना भी राजनीति खेलने का एक घटिया प्रयास है.” बता दें कि आसीम मुनीर की ये टिप्पणी भारतीय सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह के दावे के बाद सामने आई है. हाल ही में लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने कहा था कि बीजिंग ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को सक्रिय सैन्य सहायता प्रदान की थी, तथा संघर्ष को विभिन्न हथियार प्रणालियों के परीक्षण के लिए “लाइव लैब” के रूप में इस्तेमाल किया था.
पिछले सप्ताह दिल्ली में एक सेमिनार को संबोधित करते हुए जनरल सिंह ने कहा कि पाकिस्तान “सामने वाला चेहरा” था, तथा चीन अपने सदाबहार सहयोगी को हर संभव सहायता प्रदान कर रहा था, वहीं तुर्की भी इस्लामाबाद को सैन्य हार्डवेयर की आपूर्ति करके एक प्रमुख भूमिका निभा रहा था. उन्होंने कहा कि भारत वास्तव में 7-10 मई के संघर्ष के दौरान कम से कम तीन विरोधियों से निपट रहा था.
मुनीर ने कर दिया ये दावा
मुनीर ने दावा किया कि भारत के रणनीतिक व्यवहार के विपरीत, पाकिस्तान ने सैद्धांतिक कूटनीति के आधार पर स्थाई साझेदारी बनाई है, जो आपसी सम्मान और शांति पर आधारित है, तथा इस क्षेत्र में स्थिरता लाने वाले के रूप में खुद को स्थापित किया है. मुनीर ने कहा, “हमारे जनसंख्या केंद्रों, सैन्य ठिकानों, आर्थिक केंद्रों और बंदरगाहों को लक्षित करने का कोई भी प्रयास तुरंत ही गहरी चोट पहुंचाने वाली और पारस्परिक प्रतिक्रिया से कहीं अधिक प्रतिक्रिया उत्पन्न करेगा.” उन्होंने कहा कि युद्ध मीडिया की बयानबाजी, आयातित फैंसी हार्डवेयर या राजनीतिक नारेबाजी से नहीं जीते जाते, बल्कि आस्था, पेशेवर क्षमता, संचालन संबंधी स्पष्टता, संस्थागत ताकत और राष्ट्रीय संकल्प से जीते जाते हैं.
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