Funding to UCLAZ: यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफ़ोर्निया (UCLA) इन दिनों सुर्खियों में है. वजह है एक ऐसा फैसला जिसने एजुकेशन फील्ड को तो राहत दी ही है, साथ में राजनीतिक दुनिया में भी हलचल मचा दी है.
24 September, 2025
Funding to UCLAZ: अमेरिका की पॉपुलर यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफ़ोर्निया, लॉस एंजेलिस (UCLA) इन दिनों सुर्खियों में है. वजह है एक ऐसा फैसला जिसने न सिर् एजुकेशन फील्ड को राहत दी है बल्कि राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है. अमेरिकी संघीय न्यायाधीश रीटा लिन ने आदेश दिया है कि ट्रंप प्रशासन को UCLA का रोका हुआ 500 मिलियन डॉलर का फेडरल ग्रांट तुरंत री-स्टोर करना होगा.
ट्रंप ने लगाई थी रोक
दरअसल, ट्रंप प्रशासन ने अगस्त में UCLA पर सिविल राइट्स उल्लंघन, खासकर एंटी-सेमिटिज़्म और अफ़र्मेटिव एक्शन से जुड़े आरोप लगाते हुए 584 मिलियन डॉलर के अनुदान रोक दिए थे. प्रशासन की दलील थी कि यूनिवर्सिटी में उदारवाद और यहूदी-विरोधी रवैया बढ़ रहा है. लेकिन अदालत का मानना है कि इतनी बड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रशासन ने न तो तय प्रक्रिया अपनाई और न ही स्पषट कारण बताए. जज लिन ने कहा कि फेडरल फंडिंग काटने के लिए प्रशासन को एडमिनिस्ट्रेटिव प्रोसीजर एक्ट (Administrative Procedure Act) का पालन करना चाहिए था. उन्होंने ये भी माना कि UCLA को सिर्फ नॉर्मल लेटर भेजकर कई एजेंसियों के अनुदान रोक देना गैरकानूनी कदम है.
पहले भी हो चुका है ऐसा
ये पहली बार नहीं है जब UCLA ने राहत पाई हो. इसी साल अगस्त में ही अदालत ने नेशनल साइंस फाउंडेशन (National Science Foundation) से जुड़े 81 मिलियन डॉलर के ग्रांट वापस दिलवाए थे. अब नए आदेश ने सैकड़ों मेडिकल रिसर्च प्रोजेक्ट्स को फिर से नई ताकत दी है. इनमें पार्किंसन की बीमारी के इलाज, कैंसर रिकवरी नसों की सेल रीजेनेरेशन जैसी अहम रिसर्च शामिल हैं.
ट्रंप प्रशासन का दवाब
ट्रंप प्रशासन लंबे टाइम से अमेरिका की बड़ी यूनिवर्सिटियों पर दबाव बना रहा है. उसका आरोप है कि विविधता (Diversity), हिस्सेदारी (Equity) और समावेश (Inclusion) की नीतियां व्हाइट और एशियाई-अमेरिकी स्टूडेंट्स के खिलाफ भेदभाव करती हैं. यही वजह है कि हार्वर्ड, कोलंबिया और ब्राउन जैसी यूनिवर्सिटियों को भी फंडिंग कटौती और जांचों का सामना करना पड़ा. फिर जब हार्वर्ड ने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया, तो वहां भी जज ने माना कि ट्रंप सरकार का फंड रोकना ग़ैरकानूनी प्रतिशोध जैसा है. वहीं, UCLA से एक अरब डॉलर के समझौते का प्रस्ताव प्रशासन की तरफ से रखा गया था, जिसे कैलिफ़ोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसम ने जबर्दस्ती वसूली की कोशिश बताया था.
भविष्य की बात
UCLA का कहना है कि इतनी बड़ी रकम देना संस्थान को बर्बाद कर देगा. ऐसे में अदालत का नया फैसला न सिर्फ यूनिवर्सिटीज के लिए जीवनरेखा साबित हुआ है बल्कि उन हजारों स्टूडेंट्स, रिसर्चर्स और साइंटिस्ट्स के लिए भी उम्मीद लेकर आया है जिनका फ्यूचर इन फंड्स पर टिका है.
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