Delhi Pollution : सुप्रीम कोर्ट ने नर्सरी से क्लास 5 तक के छात्रों के लिए स्कूल बंद करने के लिए दिल्ली सरकार के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि अब और किसी बदलाव की जरूरत नहीं है.
Delhi Pollution : दिल्ली-NCR में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई में तीन जजों की बेंच ने कहा कि हमें इस समस्या का व्यावहारिक समाधान ढूंढना चाहिए. प्रदूषण होने की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि पाबंदियों के कारण खाली बैठे मजदूरों का वेरिफाई और उनके खातों में कुछ आर्थिक मदद पहुंचाने का काम करें. इसके अलावा शीर्ष अदालत ने बुधवार को कई निर्देश जारी किए, जिसमें NHAI और MCD से कहा कि वे दिल्ली की सीमाओं पर 9 टोल प्लाजा को अस्थाई रूप से बंद करें या फिर दूसरी जगह पर शिफ्ट कर दें. ताकि किसी तरह से दिल्ली में भारी ट्रैफिक को कम किया जा सके. इसके अलावा कोर्ट ने प्रदूषण को हर साल होने वाली समस्या करार दिया.
दिल्ली सरकार के फैसले में दखल देने किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने नर्सरी से क्लास 5 तक के छात्रों के लिए स्कूल बंद करने के लिए दिल्ली सरकार के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि अब और किसी बदलाव की जरूरत नहीं है क्योंकि सर्दियों की छुट्टियां पहले आने वाली हैं. इसी बीच दिल्ली की सीमाओं पर गाड़ियों की भीड़ कम करने की कोशिश में चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) और म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ दिल्ली (MCD) से राजधानी में एंट्री पॉइंट्स पर मौजूदा 9 टोल प्लाजा को शिफ्ट करने या कुछ समय के लिए बंद करने पर विचार करने को कहा. साथ ही MCD को खास तौर से एक हफ्ते के अंदर यह फैसला लेने का निर्देश दिया गया कि क्या इन टोल को कुछ समय के लिए बंद नहीं किया सकता है. बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि सिर्फ प्रोटोकॉल बनाने के बजाय मौजूदा उपायों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, जिनका पालन नहीं होता है.
नियमों का पालन बहुत कमजोर रहा
चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की कि आइए इस प्रॉब्लम के लिए प्रैक्टिकल समाधानों के बारे में सोचें. उन्होंने कहा कि हमारे पास निवारक व्यवस्थाएं तो मौजूद हैं, लेकिन उनका पालन लगातार कमजोर रहा है. प्रदूषण से जुड़ी पाबंदियों को रोजी-रोटी पर पड़ने वाले असर देखते हुए, बेंच ने दिल्ली सरकार ने निर्देश दिया कि पाबंदियों की वजह से बेकार हुए कंस्ट्रक्शन मजदूरों की तुरंत पहचान करें और यह पक्का करे कि फाइनेंशियल मदद सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की जाए. वहीं, दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुई एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एश्वर्या भाटी ने बेंच बताया कि करीब 2.5 लाख रजिस्टर्ड कंस्ट्रक्शन मजदूरों में से अब तक करीब 7 हजार मजदूरों की पहचान की जा चुकी है और भरोसा दिलाया कि पैसा सीधे उनके खातों ट्रांसफर किया जा चुका है.
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