Home Top News कौन हैं जस्टिस जॉयमाल्या बागची? जिनको 33वें जज के रूप में दिलाई गई शपथ; 2031 में बनेंगे CJI

कौन हैं जस्टिस जॉयमाल्या बागची? जिनको 33वें जज के रूप में दिलाई गई शपथ; 2031 में बनेंगे CJI

by Sachin Kumar
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Justice Joymalya Bagchi : जॉयमाल्या बागची बागची को 27 जून, 2011 को कलकत्ता हाई कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों पर फैसले दिए.

Justice Joymalya Bagchi : भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना (Sanjiv Khanna) ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के जज जॉयमाल्या बागची  (Joymalya Bagchi) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज के रूप में शपथ दिलाई है. सर्वोच्च न्यायालय में एक कार्यक्रम में जॉयमाल्या बागची को 33वें न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई. साथ ही प्रोग्राम में सुप्रीम कोर्ट के अन्य न्यायाधीश भी उपस्थित थे. इसके अलावा जस्टिस बागची 3 अक्टूबर, 2031 को रिटारमेंट होंगे लेकिन उससे कुछ महीने के लिए मई 2031 में भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त कर दिया जाएगा. बता दें कि जस्टिस बागची का सुप्रीम कोर्ट में कार्यकाल करीब 6 साल का होगा और इस दौरान वह CJI की कुर्सी पर भी विराजमान होंगे.

SC में जजों की संख्या पहुंची 33

जस्टिस जॉयमाल्या बागची को 27 जून, 2011 को कलकत्ता हाई कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों पर फैसले दिए थे. वह उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सीनियरिटी लिस्ट में 11वें स्थान पर मौजूद हैं और अब उनकी नियुक्ति के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या 33 हो गई है जबकि शीर्ष अदालत में स्वीकृत पद 34 हैं. बता दें कि कलकत्ता हाई कोर्ट के बाद उन्हें 4 जनवरी, 2021 को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था, लेकिन इसके बाद 8 नवंबर, 2021 को एक बार फिर कलकत्ता उच्च न्यायालय में भेज दिया गया. इसी बीच चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना की नेतृत्व वाली पांच जजों की कमेटी ने जस्टिस बागची की सिफारिश की.

10 मार्च को केंद्र ने दी थी मंजूरी

सीजेआई के नेतृत्व वाली पांच जजों की कमेटी की तरफ से 6 मार्च को मंजूरी मिलने के बाद केंद्र सरकार ने जस्टिस जॉयमाल्या बागचीची के नाम पर 10 मार्च को मुहर लगा दी थी. इस कॉलोजियम की कमेटी में जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ शामिल थे. वहीं, कॉलोजियम ने कहा कि योग्यता, ईमानदारी और काबिलियत का ध्यान रखते हुए केंद्र को नामों की सिफारिश भेजी जाती है. इसके अलावा शीर्ष अदालत में क्षेत्रीय संतुलन का भी ध्यान रखा जाता है और वह देश के लिए भी काफी जरूरी है.

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