Congress News : अरावली की कई डेफिनेशन को लेकर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने आ गई हैं. कांग्रेस ने दावा किया कि अगर नई परिभाषा के तहत अरावली पहाड़ी का 90 फीसदी हिस्सा अरावली नहीं माना जाएगा.
Congress News : अरावली की पहाड़ियों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया और कोर्ट ने अरावली में नई माइनिंग लीज देने पर पूरी तरह से रोक लगा दी. हालांकि, मौजूदा समय में जारी माइनिंग चलती रहेगी और अदालत ने केंद्र सरकार से चार राज्यों में फैली पहाड़ियों को लेकर मैनेजमेंट प्लान तैयार करने के लिए कहा है. इसी बीच कांग्रेस ने गुरुवार को पर्यावरण मंत्रालय के अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा की सिफारिश करने पर मोदी सरकार की आलोचना की. कांग्रेस ने कहा कि इससे पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ेगा और इसकी तत्काल समीक्षा करनी चाहिए. कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने दावा किया कि नई परिभाषा का उद्देश्य माइनिंग पर रोक लगाना है, लेकिन अंत में होगा यह कि अरावली पहाड़ियों का 90 फीसदी हिस्सा अब अरावली नहीं माना जाएगा.
नई डेफिनेशन की सिफारिश
कांग्रेस नेता एक्स हैंडल पर कहा कि अरावली की पहाड़ियां दिल्ली से हरियाणा और राजस्थान होते हुए गुजरात तक फैली हुई हैं. यह पहाड़ी बीते कुछ सालों में माइनिंग, कंस्ट्रक्शन और सभी नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए तबाह कर दी गई हैं. उन्होंने आगे कहा कि अब ऐसा लगता है कि इस सेंसिटिव और फैले हुए इकोसिस्टम को एक और बड़ा झटका लगेगा. साथ ही एक अंग्रेजी समाचार पत्र की खबर का हवाला देते हुए जयराम ने कहा कि यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ़ एनवायरनमेंट फॉरेस्ट्स और क्लाइमेट चेंज ने सुप्रीम कोर्ट को अरावली हिल्स की एक नई डेफिनेशन की सिफारिश की है. उन्होंने कहा कि इस डेफिनेशन का मकसद माइनिंग पर रोक लगाना है, लेकिन असल में इसका मतलब यह भी होगा कि अरावली हिल्स का 90 प्रतिशत हिस्सा अब अरावली नहीं माना जाएगा.
90 फीसदी हिस्सा नहीं माना जाएगा अरावली
उन्होंने आगे कहा कि साफ है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस बदली हुई डेफिनेशन को मान लिया है. उन्होंने आगे कहा कि यह अजीब है और इसके एनवायरमेंट और पब्लिक हेल्थ पर गंभीर असर पड़ेगा. यही वजह है कि इस फैसले की तुरंत समीक्षा होनी चाहिए. रमेश ने कहा कि नरक का रास्ता सच में अच्छे इरादों से बनाया गया है. परिभाषा के मुताबिक, कोई भी जमीन जो लोकल जगह से 100 मीटर या उससे ज्यादा ऊंचाई पर है तो उसे ढलानों और आसपास की जमीन के साथ अरावली पहाड़ियों का हिस्सा माना जाएगा. मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पैनल ने यह नहीं बताया कि इस परिभाषा के हिसाब से अरावली पहाड़ियों का 90 फीसदी से ज्यादा हिस्सा अब अरावली नहीं माना जाएगा.
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