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Tamil Nadu News: तमिलनाडु में बनाई जा रही हैं केले के छिलकों से टोकरियां, महिलाओं को मिल रहा रोजगार

by Pooja Attri
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Banana Fibre: तमिलनाडु में मौजूद मदुरै इंटरनेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स यानी एमआईसीए द्वारा महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए रोजगार दिया जा रहा है. यहां केले से टिकाऊ फाइबर प्रोडक्ट बनाने की ट्रेनिंग शुरू की गई है.

14 May, 2024

Madurai International Center for Arts: मदुरै इंटरनेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स यानी एमआईसीए ने महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करने लिए केले से टिकाऊ फाइबर प्रोडक्ट बनाने की ट्रेनिंग और रोजगार देने की पहल शुरू की है. यहां महिलाएं केले से सुंदर टोकरियां, लैंप शेड और दूसरी चीजें बनाती हैं, जिन्हें विदेशों में सप्लाई किया जाता है.

20 लोगों के साथ शुरू किया काम

मदुरै इंटरनेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स के चार्ल्स के अनुसार, ‘पहले हमने 20 सदस्यों के साथ ये सेंटर शुरू किया था. उसके बाद जो नए लोग हमारे साथ जुड़े उन्हें हमने ट्रेनिंग दी. उन्होंने दो-तीन दिन में ही काम सीख लिया. ये टोकरियां कई देशों में सप्लाई की जाती हैं.’ इस पहल ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं को कमाई का जरिया दिया है. चार्ल्स ने आगे बताया, ‘ये टोकरियां स्वीडन, अमेरिका, वियतनाम जैसे कई देशों में सप्लाई की जाती हैं. मेन यूनिट में अभी 25-30 लोग काम करते हैं और 100 लोग घर से काम कर रहे हैं.’

काम करने वाली महिलाएं हैं खुश

केंद्र में काम करने वाली महिलाएं इस पहल के जरिए आर्थिक मदद मिलने से काफी खुश हैं. इनमें से कई महिलाएं पहले खतरनाक नौकरी करती थीं. अब वो बिना किसी डर के इस केंद्र में काम कर रहीं हैं. वहां की एक महिला कारीगर सेल्वी का कहना है कि ‘काम अच्छा चल रहा है. यहां काम करने वाले सभी लोग मेरे रिश्तेदार हैं. हम लोग एक ही जगह से काम पर आ रहे हैं. इस काम को करने में हमें कोई परेशानी नहीं है और सैलरी भी अच्छी मिल रही है. हम हर दिन दो-तीन टोकरी बुनते हैं. अगर हमें ज्यादा पैसों की जरूरत होती है तो हम रेशा घर ले जाते हैं और घर पर ही टोकरियां बुनते हैं. मैं ये काम आराम से कर रही हूं.’

किसी डर के कर सकते हैं काम

कारीगर राजलक्ष्मी के अनुसार, ‘मैं ये काम 6 साल से कर रही हूं. मेरे दो बच्चे हैं. मैं ये काम आराम से कर रही हूं. मुझे किसी और काम पर जाना पसंद नहीं है. मैं रेशे घर भी ले जाती हूं और टोकरियां बुनती हूं. इससे बहुत मदद मिलती है. पटाखा फैक्ट्रियों में काम करने की जगह हम यहां बिना किसी डर के काम कर सकते हैं.’ कारीगर शिवकामी ने कहा, ‘हम कठिन काम नहीं कर सकते थे. कुछ लोग माचिस की फैक्ट्रियों में और कंस्ट्रक्शन लेबर के तौर पर काम कर रहे हैं, लेकिन हमें वो काम करने में कुछ परेशानी होती है. हम यहां छांव में बैठ कर टोकरियां बुन सकते हैं. ये टोकरियां विदेशों में सप्लाई होती हैं.’

मदद की मांग

मदुरै इंटरनेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स तमिलनाडु सरकार से मदद मांग रहा है, ताकि वो ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को सुरक्षित माहौल में काम करने का मौका दे सके.

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