Delhi High Court : दिल्ली में 12 साल पहले एक स्कूल के लैब इंचार्ज पर वाइल्डलाइफ (प्रोटेक्शन) एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था. इसको कोर्ट ने यह कहते हुए रद्द कर दिया कि वह स्कूल मैनेजमेंट में शामिल था.
Delhi High Court : दिल्ली उच्च न्यायालय ने वाइल्डलाइफ (प्रोटेक्शन) एक्ट का उल्लंघन करने के आरोप में एक केस को बंद कर दिया. यह मामला उस व्यक्ति पर चल रहा था जो एक स्कूल मैनेजमेंट का इंचार्ज था. साल 2013 में एक स्कूल में रेड की गई और इस दौरान उसकी लैब से 7 नेवले के बालों के ब्रश को बरामद किया गया था. आरोपी दीपेश गुप्ता शख्स के खिलाफ हाई कोर्ट में जस्टिस नीना बंसल कृष्णा आरोपी दीपेश गुप्ता (Deepesh Gupta) के खिलाफ सुनवाई कर रही थीं. दीपेश गुप्ता पर लक्ष्मी नगर के बाल भवन सीनियर सेकेंडरी स्कूल में एजुकेशनल मकसद से बैन वाइल्डलाइफ चीजें (ब्रश) रखने का आरोप था.
ब्रश तब खरीदा गया जब कानून लगा नहीं था
याचिकाकर्ता के वकील सुमीत वर्मा ने बताया कि शिकायत स्कूल के कथित इंचार्ज के खिलाफ दायर की गई थी, न कि स्कूल और सोसायटी के खिलाफ और यही वजह है कि वाइल्डलाइफ एक्ट के जरूरी प्रावधानों का यह खुला उल्लंघन था. 1 दिसंबर को कोर्ट ने सुमीत वर्मा की दलीलों पर ध्यान दिया कि नेवले के ब्रश उस वक्त खरीदे गए थे जब सितंबर 2002 में वाइल्डलाइफ एक्ट के तहत इस मांसाहारी जानवर को बैन प्रजाति घोषित नहीं किया गया था. हालांकि, फैसले में कहा गया कि भले ही ब्रश जानवर या उसके सामान पर कब्जा करने से पहले खरीदे गए थे, जो कानूनी रूप से उल्लंघन नहीं था. लेकिन स्कूल वाइल्डलाइफ एक्ट के तहत प्रतिबंध बैन चीजों के बारे में बताने में नाकाम रहा. कोर्ट ने कहा कि शिकायत पूरी तरह सुनने योग्य है क्योंकि एक्ट के प्रावधानों के तहत पहली नजर में अपराध का पता चलता है.
हाई कोर्ट ने की FIR और शिकायत रद्द
दीपेश गुप्ता पर खिलाफ लगे आरोपों को ध्यान में रखते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे पता चले कि याचिकाकर्ता 2002 में कथित अपराध के समय स्कूल का कर्मचारी था या उसके बाद भी. वह मैनेजमेंट खासकर बायोलॉजी लेबोरेटरी का इंचार्ज था. अदालत ने कहा कि ऊपर बताई गई बातों के समर्थन में कोई भी बयान या दस्तावेज न होने के कारण याचिकाकर्ता को स्कूल द्वारा की गई कथित लापरवाही के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि शिकायत में यह खुलासा नहीं किया गया था कि गुप्ता स्कूल के प्रशासन, मैनेजमेंट, खर्च और सामान खरीदने के मामलों के लिए जिम्मेदार था. यही वजह है कि उन्हें बरी किया जाता है. इसके अलावा कोर्ट फैसला सुनाते हुए कहा कि दीपेश गुप्ता के खिलाफ शिकायत और एफआईआर को रद्द कर दिया जाता है.
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