दिल्ली के पालम निवासी केसी बर्थवाल (49) से 10.80 लाख रुपये की ठगी की गई थी. पुलिस ने पांच मोबाइल फोन, छह सिम कार्ड और एक डेबिट कार्ड बरामद किया.
New Delhi: साइबर धोखाधड़ी रैकेट का भंडाफोड़ कर दिल्ली पुलिस ने झारखंड के जामताड़ा से तीन साइबर अपराधियों को दबोचा है. तीनों आरोपियों ने दिल्ली के एक व्यक्ति से 10.80 लाख रुपये ठगा था. रैकेट का भंडाफोड़ करने के लिए पुलिस की एक टीम ने पारंपरिक आदिवासी पोशाक में आरोपियों की टोह ली और घंटों तक संदिग्धों पर दूर से नज़र रखी. अधिकारी ने बताया कि आरोपियों की गिरफ्तारी के साथ ही जामताड़ा से एक साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया गया है. आरोपियों की पहचान मोहम्मद इकबाल रजा (24), मुजफ्फर जिलानी (27) और आफताब अंसारी (27) के रूप में हुई है. ये सभी जामताड़ा के करमाटार के रहने वाले हैं.
पांच मोबाइल फोन, छह सिम कार्ड और एक डेबिट कार्ड बरामद
पुलिस उपायुक्त (दक्षिण-पश्चिम) अमित गोयल ने कहा कि जामताड़ा पिछले कुछ वर्षों में भारत में संगठित साइबर धोखाधड़ी के केंद्र के रूप में कुख्यात हो गया है. पुलिस ने आरोपियों के पास से छह सिम कार्ड, पांच मोबाइल फोन और एक डेबिट कार्ड बरामद किया है. दिल्ली के पालम निवासी 49 वर्षीय केसी बर्थवाल द्वारा दर्ज की गई शिकायत के आधार पर साइबर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किए जाने के बाद धोखाधड़ी का पता चला. बर्थवाल ने आरोप लगाया कि उन्हें 5 अप्रैल को एक अज्ञात नंबर से फोन आया. पुलिस ने कहा कि आरोपियों ने खुद को मुंबई में एक सरकारी बैंक की क्रेडिट कार्ड शाखा का अधिकारी बताया.
निजी जानकारी साझा करते ही निकल गए 10.80 लाख
आरोपियों ने बर्थवाल को बताया कि उनके क्रेडिट कार्ड से 588.82 रुपये निकल गए हैं. इसके बाद पीड़ित से आरोपियों ने कहा कि वह भेजे गए लिंक पर क्लिक करके अपना क्रेडिट कार्ड ब्लॉक कर दे. यह लिंक आधिकारिक बैंक पोर्टल जैसी दिखने वाली फिशिंग साइट पर ले गया. बर्थवाल को जाल का पता नहीं था, इसलिए उन्होंने लिंक खोला और अपने कार्ड की जानकारी साझा की. आरोपियों ने एक दिन बाद बर्थवाल को फिर फोन किया और उनसे निजी जानकारी मांगी. इसके बाद पीड़ित केसी बर्थवाल के बैंक खाते से 10.80 लाख निकल गए. एफआईआर दर्ज की गई और आगे की जांच शुरू हुई. टीम ने तकनीकी निगरानी की और आरोपियों की लोकेशन जामताड़ा क्षेत्र में होने की पुष्टि हुई.
गिरोह का मास्टरमाइंड था अंसारी
डीसीपी ने कहा कि दो दिनों की निगरानी के बाद पुलिस ने आरोपियों को पकड़ लिया. तीनों को ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली लाया गया और उनसे पूछताछ की गई. गिरोह के काम करने के तरीके के बारे में बताते हुए पुलिस ने कहा कि जालसाज पीड़ित से पैसे ऐंठने के लिए फिशिंग, सोशल इंजीनियरिंग और तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल करते थे. डीसीपी ने कहा कि आफताब अंसारी की पहचान मास्टरमाइंड के रूप में की गई है, जिसने गेमिंग वॉलेट के माध्यम से धन की योजना बनाने और धन शोधन सहित पूरे ऑपरेशन का प्रबंधन किया. उसके करीबी सहयोगी जिलानी ने उसी वॉलेट के माध्यम से निकाली गई राशि के कुछ हिस्से प्राप्त किए. 24 वर्षीय रजा को ऑपरेशन के पीछे का तकनीकी दिमाग बताया गया. डीसीपी ने कहा कि रजा ने चुराए गए धन को स्थानांतरित करने और नकद निकासी करने में भी मदद की.
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