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फर्जी पहचान पर गुज़री ज़िंदगियां! बंगाल में SIR के बीच हाकिमपुर बॉर्डर पर लगा वापसी का ट्रैफिक

by Preeti Pal
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फर्जी पहचान पर गुज़री ज़िंदगियां! बंगाल में SIR के बीच हाकिमपुर बॉर्डर पर लगा वापसी का ट्रैफिक

Illegal Bangladehis: SIR की प्रक्रिया तेज होते ही हाकिमपुर बॉर्डर पर भी भीड़ बढ़ने लगी है. ये बॉर्डर कई लोगों के लिए वापसी का रास्ता बन चुका है.

23 November, 2025

Illegal Bangladehis: हाकिमपुर बीएसएफ बॉर्डर आउटपोस्ट, नोर्थ 24 परगना के पास, एक पक्की सड़क से मुड़ता हुआ कच्चा रास्ता इन दिनों एक इनफॉर्मल रिटर्न कॉरिडोर बन गया है. यहां वो लोग कतार में खड़े हैं, जिन्हें सालों पहले अपने घर परिवार और गरीबी छोड़कर पश्चिम बंगाल में आकर बसना पड़ा था. अब वही लोग BSF जवानों से एक ही बात बार-बार कह रहे हैं कि, हमें घर जाने दो. दरअसल, दक्षिण बंगाल के बॉर्डर इलाकों में सुरक्षा बलों और स्थानीय लोगों का कहना है कि नवंबर की शुरुआत से ही कुछ लोगों की बॉर्डर पार करने की कोशिशें अचानक से बढ़ गई हैं.

SIR का डर

पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची की चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR), की वजह से पुराने डॉक्यूमेंट्स की जांच अनिवार्य हो गई है. इसके बाद अवैध तरीके से भारत में रह रहे बांग्लादेशी अब अपने देश वापस जाने की कोशिश कर रहे हैं. शाहिन बीबी, जो कोलकाता के न्यू टाउन में मेड का काम करती थीं, अपनी बच्ची को गोद में लेकर लाइन में खड़ी रहीं. उन्होंने कहा- हम गरीबी में आए थे. अब कागज नहीं हैं, डर है. इसलिए लौटना चाहती हूं.

फर्जी पहचान

कई लोग मानते हैं कि उन्होंने आधार, राशन कार्ड या वोटर आईडी जैसे पहचान पत्र दलालों के जरिये बनवाए थे. अब डॉक्यूमेंट्स की वेरिफिकेशन की सख्ती ने उन्हें डरा दिया है. एक युवक बोला- पुराने कागज दिखाने के लिए कहेंगे तो क्या देंगे? सवाल पूछने से पहले ही निकल जाना ठीक है. वहीं, लाइन में खड़े कई लोग कोलकाता, हावड़ा, बिरीटी, धुलागोड़ी और इंडस्ट्रियल इलाकों में सालों से काम कर रहे थे. किसी ने 10 साल बिताए, तो कोई कुछ ही साल पहले आया था.

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BSF रोक रही है 200 लोग

BSF ऑफिसर्स के मुताबिक, रोज 150-200 लोगों को रोककर उनकी जांच की जा रही है. बायोमेट्रिक डिटेल्स जिला प्रशासन और पुलिस के पास भेजे जाते हैं, जिसमें 2-3 दिन लग जाते हैं. इस दौरान लोग आउटपोस्ट के बाहर प्लास्टिक शीट और शेड में इंतजार करते नजर आते हैं. बाहर इंतजार करने वालों को कभी BSF, तो कभी लोकल दुकानदारों से खाना मिलता है. इन्हें 40 रुपये की दाल-चावल से लेकर 60 रुपये की मछली-भात तक दी जाती है.

सालों की कमाई

29 साल के मनीरुल शेख ने बताया कि यहां आने में 5-7 हजार रुपये लगे थे, लेकिन डॉक्यूमेंट बनवाने में 20 हजार रुपये गए. SIR ने सब बदल दिया. एक और युवक इमरान गाजी ने धीरे से कहा- मैंने 2016, 2019, 2021 और 2024 में वोट दिया. हालांकि, 2002 का कोई कागज नहीं है, इसलिए लौट रहा हूं. इसके अलावा एक पुलिस ऑफिसर ने कहा- दो दिन में 95 लोगों को पकड़ा गया है. अब थानों में जगह ही नहीं बची.

तेज हुई राजनीति

SIR ने साल 2026 चुनाव से पहले राज्य की राजनीति गर्म कर दी है. BJP आरोप लगा रही है कि TMC ने सालों तक घुसपैठ पर अपनी आंखें बंद कर रखी हैं, जबकि राज्य सरकार केंद्र पर डर फैलाने का आरोप लगा रही है. हालांकि, हाकिमपुर बॉर्डर कुछ और ही कहानी कह रहा है. एक बुजुर्ग, जो 18 साल से बंगाल में गाकर रोज़ी कमाते थे, बोले- अब वापस जाकर फिर गाना चाहता हूं. बस डर है कि अपने लोग पहचानेंगे या नहीं. आपको बता दे कि पिछले 6 दिनों में करीब 1,200 लोग प्रक्रिया पूरी करके बांग्लादेश लौट चुके हैं. कई अब भी अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. शाम ढलते ही एक BSF जवान लाइनों को देखते हुए बोला- ये लोग अंधेरे में आए थे, अब उजाले में जा रहे हैं.

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