छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में 9 लाख रुपये के नकद ईनाम वाले तीन नक्सलियों ने सरेंडर किया है. बता दें कि केंद्र सरकार लगातार नक्सलियों से हिंसा का रास्ता छोड़ने की अपील कर रही है.
Naxalites Surrender: केंद्र सरकार लगातार नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के प्रयास में जुटी है. बीते कई समय से लगातार नक्सलियों का सरेंडर जारी है. इस कड़ी में छत्तीसगढ़ के नारायणपुर से राहत देने वाली खबर सामने आई है. न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में तीन नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जिनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं. अहम ये है कि इन तीनों पर सामूहिक रूप से 19 लाख रुपये का नकद ईनाम था. पुलिस अधिकारी ने मीडिया से बातचीत में कहा, “तीनों नक्सलियों ने माओवादी विचारधारा और आदिवासियों के शोषण से मोहभंग की वजह से ही सरेंडर करने का रास्ता अपनाया.”
सरेंडर करने वालों में कौन हैं शामिल?
एक पुलिस अधिकारी ने तीनों नक्सलियों की जानकारी दी है. मिली जानकारी के मुताबिक सरेंडर करने वालों में भीमा उर्फ दिनेश पोडियाम (40), सुकली कोरम उर्फ सपना और देवली मंडावी (22) ने पुलिस अधिकारियों के सामने सरेंडर किया. बताया गया कि तीनों ही नक्सली बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों के बढ़ते प्रभाव से मोहभंग होने की बात कर रहे थे और वरिष्ठ कैडरों द्वारा निर्दोष आदिवासियों के शोषण से भी तीनों काफी परेशान थे.
कहां थे ये लोग सक्रिय?
पुलिस अधिकारी ने कहा, “माओवादियों के ईस्ट बस्तर डिविजन में कंपनी पार्टी सदस्य के रूप में सक्रिय भीमा पर 10 लाख रुपये का इनाम था, जबकि प्लाटून पार्टी समिति सदस्य सुकली और जनमिलिशिया सदस्य देवली पर 8 लाख रुपये और 1 लाख रुपये का इनाम था. महिला कैडर अभुजमाड़ और परतापुर (कांकेर) क्षेत्रों में एक्टिव थीं.”
नारायणपुर के सीनियर सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (एसएसपी) प्रभात कुमार ने कहा, “नारायणपुर पुलिस, इंडियन तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) और बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) ने तीनों के सरेंडर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस घटनाक्रम से शीर्ष माओवादी कैडर को भारी नुकसान हुआ है. ‘माड़ बचाओ अभियान’ के माध्यम से अभुजमाड़ (जो कभी माओवादियों का गढ़ था) को नक्सल मुक्त बनाने का सपना साकार हो रहा है.” उन्होंने कहा कि सरेंडर करने वाले सभी नक्सलियों को 50-50 हजार रुपये की तत्काल सहायता दी गई है और सरकार की नीति के अनुसार उनका पुनर्वास किया जाएगा. एसएसपी ने कहा कि सरकार की नई पुनर्वास नीति में शामिल कई लाभ नक्सलियों को गैरकानूनी आंदोलन छोड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. कुमार ने जोर देकर कहा, “समय आ गया है कि सभी नक्सली भाई-बहन बाहरी लोगों की भ्रामक विचारधारा से बाहर आएं. अब समय आ गया है कि ‘माड़’ को उसके मूल निवासियों को वापस सौंप दिया जाए, जहां वे बिना किसी डर के सामान्य जीवन जी सकें.”
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