Malegaon Case Detail: मालेगांव बम ब्लास्ट केस में आया कोर्ट का बड़ा फैसला. सभी 7 आरोपियों को किया बरी. जाने क्या था मामला.
Malegaon Case Detail: 29 दिसंबर 2008 का दिन भारत कभी नहीं भूला सकता. महाराष्ट्र के मालेगांव में एक मुस्लिम बहुल इलाके में बम धमाका होता है, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हुए थे. यह बम ब्लास्ट इतना भयानक था कि आस-पास का मंजर देख पूरा देश सहम गया था. इस विस्फोट को हर बम धमाके कि तरह पाकिस्तान से जोड़ा ही जा रहा था कि अचानक ATS ने आरोपियों का खुलासा करते हुए बताया कि आरोपी कोई और नहीं घर का ही विभीषण है.
कौन थे इस विस्फोट के आरोपी?
इस भयावह धमाके को कई एंगल से जांचा गया. कभी पाकिस्तान जांच एजेंसियों के शक के घेरे में आया तो कभी मुस्लिम संगठन. अलग-अलग संगठनों के शामिल होने के दावे किए गए. लेकिन इस बहुप्रसिद्ध मामले का पर्दा उठाते हुए ATS ने 7 मुख्य आरोपियों का नाम लिया. जिसमें भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह राठौर और कर्नल पुरोहीत समेत 5 ऐसे नाम थे जिसने इस केस को सियासी बवाल में बदल दिया.

कैसे हुई ‘भगवा आतंकवाद’ की एंट्री?
धमाके में जैसे ही बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह का नाम आता है वैसे ही ये मामला राजनीतिक मुद्दे में बदल जाता है. उस समय सत्ता में रही कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने विपक्ष पर कई आरोप लगाए. देश में “हिंदू आतंकवाद” और “भगवा आतंकवाद” जैसे नारे लगने लगे. बीजेपी ने भी आरोप लगाया कि कांग्रेस ने ये सब महज वोट बैंक के लिए हिंदुत्व को बदनाम करने की कोशिश की. कहानी अब अदालत से निकलकर राजनीतिक गलियारों में सुर्खियां बटोर रही थी.
17 साल बाद आया फैसला
धमाके के 17 साल बाद आज अदालत का फैसला आता है. कोर्ट की तरफ से कहा गया कि जिस बाइक से धमाका हुआ वो साध्वी प्रज्ञा की है या नहीं इसका कोई ठोस सबूत नहीं मिला, जिसके बाद सभी आरोपियों पर चल रहे मुकदमे का फैसला सुनाते हुए अदालत ने बरी कर दिया गया. NIA कोर्ट ने कहा कि, ‘पर्याप्त सबूत ना होने के कारण अदालत सभी सात आरोपियों को बरी करती है.’ बता दें कोर्ट ने अंतिम सुनवाई के बाद 19 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
यह भी पढ़ें: मालेगांव विस्फोट: 17 साल तक चला प्रज्ञा सहित सभी 7 पर आतंकवादी कृत्य और हत्या के आरोप में मुकदमा
