Home Latest News & Updates IIT गुवाहाटी की बड़ी उपलब्धिः महज 20 रुपए में साफ होगा 1000 लीटर दूषित जल, अब इन बीमारियों से मुक्ति

IIT गुवाहाटी की बड़ी उपलब्धिः महज 20 रुपए में साफ होगा 1000 लीटर दूषित जल, अब इन बीमारियों से मुक्ति

by Sanjay Kumar Srivastava
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IIT Guwahati

दूषित जल से होने वाली बीमारियों से कई राज्य जूझ रहे हैं. आईआईटी गुवाहाटी ने 20 रुपये में 1,000 लीटर दूषित पानी को साफ करने की प्रणाली विकसित कर ली है.

New Delhi: IIT गुवाहाटी ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. अब आप महज 20 रुपए में 1000 लीटर दूषित जल को साफ कर सकते हैं. यह स्वास्थ्य के क्षेत्र बड़ी क्रांति होगी. मालूम हो कि दूषित जल से होने वाली बीमारियों से कई राज्य जूझ रहे हैं. आईआईटी गुवाहाटी ने 20 रुपये में 1,000 लीटर दूषित पानी को साफ करने की प्रणाली विकसित कर ली है. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने कम लागत में दूषित जल को शुद्ध करने की प्रणाली विकसित की है जो भूजल से फ्लोराइड और आयरन को हटाती है और प्रतिदिन 20,000 लीटर तक दूषित पानी को साफ कर सकती है.

दूषित पानी के सेवन से स्केलेटल-फ्लोरोसिस का खतरा

IIT गुवाहाटी के शोध प्रतिष्ठित एसीएस ईएसएंडटी वाटर जर्नल में प्रकाशित हुए हैं. शोधकर्ताओं ने दावा किया कि यह प्रणाली बेहद सस्ती है और मात्र 20 रुपये में 1,000 लीटर पानी को साफ कर सकती है. आईआईटी गुवाहाटी के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मिहिर कुमार पुरकैत के अनुसार फ्लोराइड एक खनिज है जिसका उपयोग आमतौर पर दंत चिकित्सा उत्पादों, कीटनाशकों, उर्वरकों और कुछ औद्योगिक प्रक्रियाओं में किया जाता है. यह फ्लोराइड भूजल में प्रवेश कर जाता है. जिससे अधिक फ्लोराइड युक्त पानी के सेवन से स्केलेटल-फ्लोरोसिस हो सकता है.

कई राज्यों के भूजल में फ्लोराइडयुक्त पानी

पुरकैत ने कहा कि भारत में राजस्थान, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा और गुजरात सहित अन्य राज्य भूजल में फ्लोराइड के उच्च स्तर का सामना कर रहे हैं. पुरकैत ने कहा कि इलेक्ट्रोलिसिस के दौरान उत्पन्न हाइड्रोजन और ऑक्सीजन बुलबुले हवा के बुलबुले के साथ प्रतिक्रिया करते हैं, जिससे प्रदूषक कणों को सतह पर उठाने में सहायता मिलती है. इलेक्ट्रोड सामग्री का चयन कम लागत, कम ऑक्सीकरण क्षमता और विघटन के बाद उच्च इलेक्ट्रो-पॉजिटिविटी जैसे कारकों पर निर्भर करता है. उन्होंने कहा कि उपलब्ध विकल्पों में से एल्यूमीनियम अत्यधिक प्रभावी साबित हुआ है, विशेष रूप से इष्टतम परिचालन स्थितियों के तहत लोहा, आर्सेनिक और फ्लोराइड को हटाने में.

12 सप्ताह तक किया परीक्षण

शोध दल ने विकसित प्रणाली का 12 सप्ताह तक परीक्षण किया. परिणामों से पता चला है कि अपशिष्ट जल से 94 प्रतिशत आयरन और 89 प्रतिशत फ्लोराइड को हटा दिया गया है, जिससे इसका स्तर भारतीय मानकों द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा के भीतर आ गया है. उन्होंने कहा कि विकसित प्रणाली की एक प्रमुख विशेषता इसकी कम लागत है, जिसमें 1,000 लीटर पानी को साफ करने के लिए महज 20 रुपये खर्च होते हैं, जिससे यह अत्यधिक किफायती हो जाता है.

दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों पर खास फोकस

पायलट प्रोजेक्ट के रूप में विकसित तकनीक को असम के चांगसारी में काकाती इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा सफलतापूर्वक स्थापित किया गया है. हम इकाई को संचालित करने और इलेक्ट्रो कोएग्यूलेशन प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न हाइड्रोजन गैस का उपयोग करने के लिए सौर या पवन ऊर्जा के उपयोग की भी खोज कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि रियल-टाइम सेंसर और स्वचालित नियंत्रण जैसी स्मार्ट तकनीकों को अपनाकर हम मैनुअल हस्तक्षेप की आवश्यकता को और कम करेंगे, जिससे यह प्रणाली दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अधिक प्रभावी हो सके.

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