शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में एक सर्वे रिपोर्ट पेश की है. कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 781 जिलों में किए गए इस सर्वे की रिपोर्ट हैरान करने वाली है.
Education Ministry Survey: सरकारों की फाइलों में दावों की भरमार रहती है लेकिन इन सभी दावों की पोल खोलने वाला एक सर्वे सामने आया है. शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में जो सर्वे रिपोर्ट पेश की, उसे जिसने भी देखा उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई. ऐसा हो भी क्यों न हकीकत ही हैरान करने वाली है. शिक्षा मंत्रालय के हालिया सर्वे के मुताबिक, थर्ड क्लास तक के सिर्फ 55 प्रतिशत बच्चे ही 99 तक के नंबर्स को असेंडिंग और डिसेंडिंग ऑर्डर यानी कि आरोही या अवरोही क्रम में अरेंज कर सकते हैं. हद तो तब हो गई जब सामने आया कि छठी क्लास के सिर्फ 53 प्रतिशत बच्चे ही 10 तक के पहाड़े जानते हैं. ये सर्वे 1,15,022 बच्चों पर किया गया था. न सिर्फ बच्चे बल्कि 2,70,424 टीचर्स और स्कूल हेड्स ने भी इस सर्वे में हिस्सा लिया.
कब आयोजित किया गया सर्वे?
पिछले साल 4 दिसंबर को आयोजित हुए इस सर्वे में कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 781 जिलों के 74,229 स्कूलों के कक्षा 3, 6 और 9 के सरकारी और निजी स्कूलों के 21,15,022 छात्रों को शामिल किया गया था. सामने आया है कि थर्ड क्लास के सिर्फ 58 प्रतिशत स्टूडेंट्स ही दो डिजिट्स को प्लस या माइनस कर सकते हैं. छठी क्लास में सिर्फ 53 प्रतिशत स्टूडेंट्स ही एरिथमेटिक ऑपरेशन्स को विजुअलाइज और उनके बीच के रिलेशन को समझ सकते हैं. छठी क्लास में लैंग्वेज और मैथ्स के साथ-साथ एक एडिशनल सब्जेक्ट ‘The World Around Us’ जिसमें एन्वायरमेंट और सोसायटी शामिल है, शुरू किया गया था. स्टूडेंट्स ने सबसे कम स्कोर मैथेमेटिक्स (46 प्रतिशत) में ही किया है जबकि लैंग्वेज में 57 प्रतिशत और एन्वायरमेंट में 49 प्रतिशत मार्क्स हासिल किए हैं.
क्या बोले अधिकारी?
एक अधिकारी ने कहा, “ये लर्निंग गैप्स स्टूडेंट्स के स्किल्स, इंस्ट्रक्श्नल स्ट्रैटेजी और एडिशनल लर्निंग सपोर्ट दिखाते हैं कि इस मामले में केंद्र को और भी ज्यादा ध्यान देना होगा. इन क्षेत्रों पर प्रभावी ढंग से ध्यान देने से देश में स्टूडेंट्स के ओवरऑल लर्निंग आउटकम्स को इम्प्रूव करने में मदद मिल सकती है.” ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण अंतर भी देखा गया. जहां ग्रामीण क्षेत्रों में कक्षा 3 के छात्रों ने गणित और भाषा दोनों में बेहतर प्रदर्शन किया, वहीं शहरी क्षेत्रों में कक्षा 6 और 9 के बच्चों ने सभी विषयों में ग्रामीण छात्रों से बेहतर प्रदर्शन किया. स्कूल एजुकेशन सेक्रेटरी संजय कुमार ने रिपोर्ट में कहा, “मूल्यांकन से आगे बढ़कर, इस पहल का अगला चरण व्यवस्थित कार्रवाई को सक्षम बनाने पर केंद्रित है. इसे सुगम बनाने के लिए, परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 के निष्कर्षों को सार्थक कार्यों में बदलने के लिए एक व्यापक बहु-स्तरीय रणनीति की योजना बनाई गई है.”
ये भी पढ़ें- Elon Musk’s School: एलन मस्क का Astra Nova स्कूल, जहां मार्क्स नहीं, मिलती है सोचने की आज़ादी
