पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया मानना है कि मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण में आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को शामिल किया जाना चाहिए.
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भारत के चुनाव आयोग को बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को जारी रखने की अनुमति देते हुए इसे संवैधानिक आदेश बताया. हालांकि, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस अभ्यास के समय पर सवाल उठाया और साथ ही प्रथम दृष्टया यह भी कहा कि बिहार में एसआईआर के दौरान आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड पर विचार किया जा सकता है. पीठ ने कहा कि हमारा प्रथम दृष्टया मानना है कि मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण में आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को शामिल किया जाना चाहिए. यह देखते हुए कि 10 विपक्षी दलों के नेताओं सहित किसी भी याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाने की मांग नहीं की.
आधार नागरिकता का प्रमाण नहींः सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने याचिकाओं पर जवाब मांगा और सुनवाई 28 जुलाई के लिए स्थगित कर दी. पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग को 21 जुलाई तक याचिकाओं पर जवाबी हलफनामा दाखिल करना चाहिए और 28 जुलाई तक जवाब दाखिल करना चाहिए. पीठ ने चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी से कहा कि हमें आपकी ईमानदारी पर संदेह नहीं है लेकिन धारणाएं हैं. हम आपको रोकने के बारे में नहीं सोच रहे हैं क्योंकि यह एक संवैधानिक जनादेश है. पीठ ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि चुनाव आयोग के पास इसे लागू करने का कोई अधिकार नहीं है. चुनाव आयोग ने भी इस प्रक्रिया को उचित ठहराया और कहा कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है. पीठ ने द्विवेदी से बिहार में एसआईआर अभियान में आधार कार्ड को शामिल न करने पर सवाल किया और कहा कि चुनाव आयोग का किसी व्यक्ति की नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है और यह गृह मंत्रालय का अधिकार क्षेत्र है.
बगैर सुनवाई किए नहीं हटाएगा नामः चुनाव आयोग
न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा कि यदि आपको बिहार में मतदाता सूची के एसआईआर के तहत नागरिकता की जांच करनी है, तो आपको पहले ही कार्रवाई करनी चाहिए थी. इसमें थोड़ी देर हो गई है. चुनाव आयोग ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया कि वह सुनवाई का अवसर दिए बिना किसी को भी मतदाता सूची से नहीं छोड़ेगा. शुरुआत में, एनजीओ ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत मतदाता सूची में संशोधन की अनुमति दी जा सकती है. उन्होंने कहा कि संपूर्ण एसआईआर लगभग 7.9 करोड़ नागरिकों को कवर करेगा और यहां तक कि मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड पर भी विचार नहीं किया जा रहा है. एससी में 10 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें से एक एनजीओ ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ द्वारा दायर की गई है, जो प्रमुख याचिकाकर्ता है.
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