Jaishankar’s visit to Singapore and China: पूर्वी लद्दाख में सैन्य टकराव के बाद चीन की पहली आधिकारिक यात्रा. अब देखने वाली बात होगी कि क्या इस यात्रा के जरिए दोनों एशियाई महाशक्तियों के बीच विश्वास की बहाली और टकराव के समाधान की ओर कोई ठोस पहल होती है या नहीं.
Jaishankar’s visit to Singapore and China: विदेश मंत्री एस. जयशंकर आज से तीन दिवसीय सिंगापुर और चीन दौरे पर रवाना होंगे. यह यात्रा 13 से 15 जुलाई तक चलेगी. इस दौरान वे चीन के तिआनजिन शहर में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेंगे.चीन के साथ तनावपूर्ण रिश्तों के बीच यह दौरा कूटनीतिक लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है.
पूर्वी लद्दाख तनाव के बाद पहली बार चीन दौरा

जयशंकर की यह यात्रा 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में हुए घातक संघर्ष के बाद उनकी पहली चीन यात्रा है. भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैन्य गतिरोध ने दोनों देशों के संबंधों को गंभीर संकट में डाल दिया था. हालांकि, पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों की मरम्मत की दिशा में प्रयास तेज किए हैं. अक्टूबर 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद यह निर्णय लिया गया था कि विशेष प्रतिनिधि (SR) स्तर की वार्ता और अन्य संवाद तंत्रों को फिर से शुरू किया जाएगा.
सिंगापुर में भी करेंगे द्विपक्षीय बातचीत
यात्रा के पहले चरण में जयशंकर सिंगापुर की यात्रा करेंगे, जहां वे वहां के विदेश मंत्री और शीर्ष नेतृत्व से मिलेंगे. भारत और सिंगापुर के बीच यह नियमित उच्च स्तरीय संवाद का हिस्सा है, जो दोनों देशों के मजबूत रणनीतिक और आर्थिक रिश्तों को दर्शाता है.
चीन में SCO बैठक के बहाने अहम मुलाकातें संभव
जयशंकर SCO विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए चीन के तिआनजिन शहर जाएंगे. इस दौरान वे चीन के विदेश मंत्री वांग यी और अन्य सदस्य देशों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात कर सकते हैं. चीन इस समय SCO का अध्यक्ष है और सदस्य देशों की अहम बैठकों की मेजबानी कर रहा है. कुछ सप्ताह पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी किंगदाओ में SCO की रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल हो चुके हैं.
NSA डोभाल की यात्रा ने दी थी बातचीत को दिशा
विदेश मंत्री की यात्रा से पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी चीन का दौरा किया था और सीमा विवाद को लेकर विशेष प्रतिनिधियों की बैठक में भाग लिया था. उनके इस दौरे को भी सीमा पर स्थिति सामान्य करने की दिशा में एक सकारात्मक पहल माना गया.
कूटनीतिक रिश्तों को पटरी पर लाने की कवायद
एस. जयशंकर की यह यात्रा भारत-चीन संबंधों में ‘बर्फ पिघलाने’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है. एलएसी पर तनाव के वर्षों बाद अब दोनों देश राजनयिक और सामरिक स्तर पर संवाद की बहाली की ओर बढ़ रहे हैं. SCO जैसे बहुपक्षीय मंच पर भारत की भागीदारी इस बात का संकेत है कि भारत अपने रणनीतिक हितों की रक्षा करते हुए भी द्विपक्षीय संवाद के रास्ते बंद नहीं करना चाहता.
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