Mystery of Multiverse: हॉलीवुड फिल्मों में दिखाया जाने वाला मल्टीवर्स रोमांचक जरूर है, लेकिन वैज्ञानिक रूप से इसका अस्तित्व अब भी शोध और अनुमान का विषय बना हुआ है. क्या ये सिर्फ कल्पना है या हकीकत, जाने यहां.
Mystery of Multiverse: सुपरहीरो फिल्मों और साइंस फिक्शन सीरीज जैसे मार्वल यूनिवर्स में आपने अक्सर देखा होगा कि एक ही इंसान की कई अलग-अलग दुनियाओं में मौजूदगी होती है,यही होता है मल्टीवर्स. ये कहानियां दर्शकों को रोमांचित करती हैं, लेकिन क्या वाकई ऐसा कोई कॉन्सेप्ट असल जिंदगी में भी मौजूद है या ये सिर्फ फिल्मी कल्पना है?
क्या है मल्टीवर्स?
मल्टीवर्स एक थ्योरिटिकल कॉन्सेप्ट है, जिसमें यह माना जाता है कि हमारे यूनिवर्स जैसा ही अनगिनत और भी यूनिवर्स मौजूद हो सकते हैं. हर यूनिवर्स की अपनी भौतिकी, नियम, समय, और संभावनाएं हो सकती हैं. अभी तक इस अवधारणा का कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है, लेकिन थ्योरिटिकल फिजिक्स और कॉस्मोलॉजी के कई शोधकर्ता इस विचार को गंभीरता से लेते हैं और इस पर रिसर्च जारी है.
क्या मल्टीवर्स का अस्तित्व संभव है?

हमारा ब्रह्मांड कितना बड़ा है, इसका अभी कोई अंत नहीं मिला है। जितनी दूर तक हम देख सकते हैं, वह केवल हमारे “ऑब्जर्वेबल यूनिवर्स” तक ही सीमित है. वैज्ञानिक मानते हैं कि इसके परे और भी कुछ हो सकता है. यह भी संभव है कि हमारे जैसे और यूनिवर्स, जहां पर भौतिकी के नियम थोड़े अलग हों, मौजूद हों. क्वांटम फिजिक्स और कॉस्मिक इनफ्लेशन जैसी थ्योरीज कभी-कभी मल्टीवर्स की संभावना को सपोर्ट करती हैं, हालांकि ये अभी भी वैज्ञानिक अनुमानों के दायरे में ही आती हैं.
हिंदू धर्म में भी मल्टीवर्स की झलक
मल्टीवर्स का विचार सिर्फ आधुनिक विज्ञान तक ही सीमित नहीं है. हिंदू धर्म और प्राचीन ग्रंथों में भी इसका वर्णन मिलता है. भागवत पुराण के अनुसार, ब्रह्मांड की सात परतें हैं, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, ऊर्जा और अहंकार. हर परत पिछली से 10 गुना बड़ी होती है और ऐसे अनगिनत ब्रह्मांडों का अस्तित्व माना गया है. उपनिषदों और पुराणों में सृष्टि के निर्माण और विनाश के कई चक्रों का जिक्र है, जो मल्टीवर्स की अवधारणा को आध्यात्मिक दृष्टि से जोड़ता है.
क्या हम कर पाएंगे संपर्क?
फिलहाल विज्ञान के पास ऐसा कोई तकनीकी माध्यम नहीं है जिससे हम दूसरे यूनिवर्स से संपर्क कर सकें या उन्हें खोज सकें. लेकिन तेजी से बढ़ते शोध और तकनीकी प्रगति के चलते इस संभावना को एकदम खारिज नहीं किया जा सकता. जैसे-जैसे हमारी समझ बढ़ेगी, यह मुमकिन है कि हम इस रहस्यमयी कॉन्सेप्ट के और करीब पहुंचेंगे.
कल्पना और संभावना के बीच की दुनिया
मल्टीवर्स फिलहाल विज्ञान और कल्पना के बीच खड़ा एक ऐसा कॉन्सेप्ट है जो रोमांचक भी है और रहस्यमयी भी. जहां एक ओर इसे लेकर अभी तक कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिला है, वहीं दूसरी ओर कई थ्योरीज इसकी ओर इशारा भी करती हैं. यही वजह है कि मल्टीवर्स न सिर्फ फिल्मों में, बल्कि विज्ञान और दर्शन में भी एक मजबूत बहस का विषय बना हुआ है.
Disclaimer: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है. मल्टीवर्स जैसे कॉन्सेप्ट पर कोई भी निष्कर्ष निकालने से पहले संबंधित विषय विशेषज्ञों और वैज्ञानिक स्रोतों से सलाह अवश्य लें.
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