पीठ ने राजनीतिक दल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे से कहा कि यह धोखाधड़ी से आवंटन का मामला नहीं है, बल्कि बाहुबल और शक्ति का दुरुपयोग करके धोखाधड़ी से कब्जे का मामला है.
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में धोखाधड़ी से मात्र 115 रुपये में कार्यालय की जगह कब्जाने के लिए समाजवादी पार्टी को फटकार लगाई और राजनीतिक शक्ति के स्पष्ट दुरुपयोग की बात कही. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने राजनीतिक दल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे से कहा कि यह धोखाधड़ी से आवंटन का मामला नहीं है, बल्कि बाहुबल और शक्ति का दुरुपयोग करके धोखाधड़ी से कब्जे का मामला है. शीर्ष अदालत पीलीभीत नगरपालिका परिषद के बेदखली आदेश के खिलाफ पार्टी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. दवे ने तर्क दिया कि कार्यालय की जगह का किराया देने के बावजूद नगरपालिका अधिकारी उनके मुवक्किल को बेदखल करने पर अड़े हुए थे. उन्होंने कहा कि बेदखली आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए एक मुकदमा दायर किया गया था.
कोर्ट ने शक्ति का दुरुपयोग बताया
पीठ ने कहा कि आप एक राजनीतिक दल हैं. आपने जगह पर कब्जा करने के लिए आधिकारिक पद और राजनीतिक शक्ति का दुरुपयोग किया. जब कार्रवाई होती है, तो आपको सब कुछ याद आने लगता है. क्या आपने कभी नगरपालिका क्षेत्र में 115 रुपए किराए पर कार्यालय की जगह के बारे में सुना है? यह स्पष्ट रूप से शक्ति का दुरुपयोग है. जब दवे ने छह सप्ताह के लिए बेदखली से संरक्षण की मांग की, तो पीठ ने कहा कि इस समय आप एक अनधिकृत अधिभोगी हैं. ये धोखाधड़ी वाले आवंटन नहीं, बल्कि धोखाधड़ी वाले कब्जे हैं. दवे ने दावा किया कि पार्टी को अधिकारियों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है. पीठ ने कहा कि बेहतर होगा कि आप उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर करें और इस तरह के किसी भी धोखाधड़ी वाले आवंटन या कब्जे को अदालत के संज्ञान में लाएं. हम इस कदम का स्वागत करेंगे.
नगरपालिका परिषद ने दिया था बेदखली का आदेश
याचिका की जांच करने से इनकार करते हुए पीठ ने सिविल कोर्ट में याचिकाकर्ता के मुकदमे पर कोई राय व्यक्त नहीं की, जिस पर उसने कहा कि जल्द से जल्द फैसला किया जाना चाहिए. पक्षकार इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2 जुलाई के उस आदेश को चुनौती दे रहा था जिसमें याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया गया था. 16 जून को शीर्ष अदालत ने पार्टी के पीलीभीत जिला अध्यक्ष द्वारा स्थानीय पार्टी कार्यालय के बेदखली आदेश के मुद्दे पर नई याचिका दायर करने से रोक लगाने वाले उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर इसी तरह की याचिका को खारिज कर दिया था. शीर्ष अदालत ने पार्टी को नगर निकाय के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता दी. शीर्ष अदालत ने आनंद सिंह यादव की याचिका पर उच्च न्यायालय के एक दिसंबर, 2020 के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने में 998 दिनों की देरी का उल्लेख किया. यादव ने पार्टी का जिला अध्यक्ष होने का दावा किया था. पार्टी ने दावा किया था कि नगर निकाय ने उसे सुनवाई का अवसर दिए बिना 12 नवंबर, 2020 को परिसर खाली करने का आदेश दिया था.
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