Home Latest News & Updates धनखड़ के इस्तीफे के बाद सियासी हलचल तेज! उपराष्ट्रपति पद के लिए जल्द होंगे चुनाव, संविधान में स्पष्ट निर्देश

धनखड़ के इस्तीफे के बाद सियासी हलचल तेज! उपराष्ट्रपति पद के लिए जल्द होंगे चुनाव, संविधान में स्पष्ट निर्देश

by Jiya Kaushik
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Polls to elect next Vice President: भारत के उपराष्ट्रपति पद की रिक्तता केवल एक संवैधानिक औपचारिकता नहीं बल्कि लोकतंत्र के सुचारु संचालन के लिए महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है. जानिए क्या होती है राष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया.

Polls to elect next Vice President: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद को भरने की प्रक्रिया तेज हो गई है. संविधान के अनुच्छेद 68(2) के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद के रिक्त होने पर चुनाव “जितना जल्दी संभव हो” आयोजित किया जाना आवश्यक होता है. यह पद न केवल प्रतीकात्मक है बल्कि संसद के उच्च सदन, राज्यसभा के संचालन में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. ऐसे में इस पद की रिक्तता एक संवैधानिक प्रक्रिया की शुरुआत का संकेत देती है.

जल्द शुरू होगी चुनाव प्रक्रिया

अनुच्छेद 68(2) के अनुसार, उपराष्ट्रपति के निधन, इस्तीफे, हटाए जाने या किसी अन्य कारण से पद रिक्त होने पर चुनाव “जितना जल्दी संभव हो” कराया जाना चाहिए. नए उपराष्ट्रपति को कार्यभार संभालने की तारीख से अगले पांच वर्षों तक का कार्यकाल मिलेगा. हालांकि, जब तक नए उपराष्ट्रपति का चयन नहीं होता, तब तक वर्तमान उपराष्ट्रपति पद पर बने रह सकते हैं.

राज्यसभा की जिम्मेदारी कौन निभाएगा?

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जब उपराष्ट्रपति पद खाली होता है, तो संविधान के अनुसार केवल एक ही स्पष्ट प्रावधान दिया गया है. राज्यसभा के सभापति के तौर पर उनकी भूमिका को उपसभापति या फिर राष्ट्रपति द्वारा अधिकृत किसी अन्य सदस्य द्वारा निभाया जाएगा. जब उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति बनते हैं, तो उस दौरान वे राज्यसभा के सभापति की भूमिका नहीं निभाते और इस पद से मिलने वाले वेतन या भत्तों के पात्र नहीं रहते.

उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया क्या है?

अनुच्छेद 66 के तहत, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया जाता है. यह चुनाव एकल संक्रमणीय मत प्रणाली के अंतर्गत आनुपातिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत पर आधारित होता है. उम्मीदवार के लिए भारत का नागरिक होना, 35 वर्ष की आयु पूरी करना और राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यता होना अनिवार्य है. इसके अतिरिक्त, कोई भी ऐसा व्यक्ति जो भारत सरकार, राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकरण के अधीन लाभ का पद रखता है, वह इस चुनाव के लिए अयोग्य माना जाएगा.

कार्यकाल और इस्तीफा: क्या कहता है संविधान

उपराष्ट्रपति पांच वर्ष के लिए नियुक्त होते हैं, लेकिन जब तक उनका उत्तराधिकारी पदभार नहीं संभालता, वे पद पर बने रह सकते हैं. इस्तीफा राष्ट्रपति को दिया जाता है और वह तभी प्रभावी होता है जब राष्ट्रपति द्वारा स्वीकार किया जाता है. उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं, लेकिन कोई अन्य लाभ का पद नहीं रख सकते.

भारत के उपराष्ट्रपति पद की रिक्तता केवल एक संवैधानिक औपचारिकता नहीं बल्कि लोकतंत्र के सुचारु संचालन के लिए महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है. जैसे ही यह पद खाली होता है, संविधान के दिशा-निर्देशों के अनुसार चुनाव प्रक्रिया तुरंत शुरू की जानी चाहिए. इस पद की गरिमा और संवैधानिक भूमिका को ध्यान में रखते हुए, अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा, इस पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं.

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