रूस और यूरोपीय संघ में जारी तनाव के बीच विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि भारत अपने लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने को “सर्वोच्च प्राथमिकता” देता है.
Foreign Secretary Vikram Misri: विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि भारत अपने लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने को “सर्वोच्च प्राथमिकता” देता है और ब्रॉडर ग्लोबल एनर्जी मार्केट के बारे में “स्पष्ट” दृष्टिकोण रखना जरूरी है. ये बात यूरोपीय संघ द्वारा रूसी ऊर्जा क्षेत्र को टारगेट करने वाले नए उपायों की घोषणा के कुछ दिनों बाद कही गई है, जिसमें गुजरात में वाडिनार रिफाइनरी पर प्रतिबंध भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि ऊर्जा संबंधी मुद्दों पर “दोहरे मानदंड” न अपनाना जरूरी है. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने ये टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन और मालदीव की चार दिवसीय यात्रा पर आयोजित एक मीडिया ब्रीफिंग में एक सवाल के जवाब में की. उन्होंने कहा, “जहां तक ऊर्जा सुरक्षा का सवाल है, हम इस बारे में बहुत स्पष्ट रहे हैं. भारत के लोगों को ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करना भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है.”
पश्चिमी देशों और रूस का किया जिक्र
विक्रम मिसरी से पूछा गया था कि क्या रूसी ऊर्जा क्षेत्र पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए नए प्रतिबंधों के मद्देनजर ऊर्जा सुरक्षा से जुड़े मुद्दे प्रधानमंत्री मोदी और उनके ब्रिटिश समकक्ष कीर स्टार्मर की बातचीत में शामिल होंगे. यूक्रेन पर आक्रमण को लेकर मॉस्को पर बढ़ते पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद, भारत ने पिछले कुछ वर्षों में रूस से अपनी ऊर्जा खरीद में वृद्धि की है. मिसरी ने कहा, “ऊर्जा सुरक्षा के संबंध में हमें जो करना होगा, हम करेंगे. ऊर्जा संबंधी मुद्दों पर, जैसा कि हमने पहले कहा है, दोहरे मानदंड न अपनाना और ऊर्जा बाजार के संदर्भ में वैश्विक स्थिति के बारे में स्पष्ट दृष्टिकोण रखना महत्वपूर्ण है.” बता दें कि 27 देशों के यूरोपीय संघ द्वारा पिछले सप्ताह घोषित प्रतिबंधों के 18वें पैकेज में रूस के तेल और ऊर्जा क्षेत्र के राजस्व को कम करने के उद्देश्य से कई उपाय शामिल थे, जैसे कि रूसी कच्चे तेल से बने और किसी तीसरे देश से आने वाले पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध.
तेल की कीमत पर मचा है बवाल
इन उपायों में तेल की कीमत सीमा को 60 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से घटाकर लगभग 48 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल करना और वाडिनार रिफाइनरी को नामित करना भी शामिल था, जिसमें रूसी ऊर्जा कंपनी रोसनेफ्ट की बड़ी हिस्सेदारी है. यूरोपीय संघ द्वारा नए उपायों की घोषणा के कुछ घंटों बाद, भारत ने कहा कि “दोहरे मापदंड” नहीं होने चाहिए, खासकर जब ऊर्जा व्यापार की बात हो. विदेश सचिव ने कहा कि यह स्पष्ट होना जरूरी है कि ऊर्जा उत्पादों के प्रदाता कहां स्थित हैं, वे कहां से आएंगे और किस समय किसे ऊर्जा की आवश्यकता है.
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