लोकसभा में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने महाराष्ट्र से साबरमती तक बुलेट ट्रेन चलने की तारीख बताई है. अश्विनी वैष्णव ने इस परियोजना की लागत भी साझा की है.
Ashwini Vaishnaw: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को लोकसभा में जानकारी दी कि महाराष्ट्र से साबरमती तक पूरी बुलेट ट्रेन परियोजना 2029 तक पूरी होने की उम्मीद है. न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, जानकारी दी गई कि वापी और साबरमती के बीच बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के गुजरात वाले हिस्से का काम दिसंबर 2027 तक पूरा होने की योजना है. वहीं महाराष्ट्र से साबरमती सेक्शन तक पूरी परियोजना दिसंबर 2029 तक पूरी होने की उम्मीद है. देश की इस सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना के निर्माण की स्थिति के बारे में कुछ सदस्यों द्वारा पूछे गए सवालों के बाद, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस पर जानकारी देते हुए बताया कि मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एमएएचएसआर) परियोजना (508 किलोमीटर) जापान से तकनीकी और वित्तीय सहायता के साथ तैयार की जा रही है.
कहां से होकर गुजरेगी परियोजना?
अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह परियोजना गुजरात, महाराष्ट्र और दादरा एवं नगर हवेली से होकर गुजरेगी और इसके मुंबई, ठाणे, विरार, बोईसर, वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, वडोदरा, आणंद, अहमदाबाद और साबरमती में 12 स्टेशनों की योजना है. अश्विनी ने एक लिखित उत्तर में कहा, “वापी और साबरमती के बीच कॉरिडोर का गुजरात वाला हिस्सा दिसंबर, 2027 तक पूरा होने की योजना है. पूरी परियोजना (महाराष्ट्र से साबरमती खंड) दिसंबर, 2029 तक पूरी होने की उम्मीद है.” उन्होंने कहा कि चूंकि यह एक बहुत ही जटिल और तकनीकी रूप से गहन परियोजना है, इसलिए इसकी समय-सीमा का अनुमान सिविल संरचनाओं, ट्रैक, विद्युत, सिग्नलिंग और दूरसंचार तथा ट्रेनसेट की आपूर्ति से जुड़े सभी संबंधित कार्यों के पूरा होने के बाद ही लगाया जा सकता है.
1,08,000 करोड़ रुपये है लागत
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि परियोजना की कुल अनुमानित लागत लगभग 1,08,000 करोड़ रुपये है, जिसमें से जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (JICA) 81 प्रतिशत यानी 88,000 करोड़ रुपये की फाइनेंसिंग कर रही है और शेष 19 प्रतिशत यानी 20,000 करोड़ रुपये रेल मंत्रालय (50 प्रतिशत) और महाराष्ट्र (25 प्रतिशत) और गुजरात (25 प्रतिशत) सरकारों के इक्विटी योगदान से फाइनेंस किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि 30 जून तक इस परियोजना पर कुल 78,839 करोड़ रुपये का फाइनेंशियल एक्सपेंस हो चुका है. उन्होंने आगे कहा, “महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण में देरी के कारण परियोजना 2021 तक प्रभावित हुई है. हालांकि, वर्तमान में, एमएएचएसआर परियोजना के लिए पूरी भूमि (1389.5 हेक्टेयर) अधिग्रहित कर ली गई है. अंतिम स्थान सर्वेक्षण और भू-तकनीकी जांच पूरी हो चुकी है और अलाइंनमेंट को अंतिम रूप दे दिया गया है, साथ ही वन्यजीव, तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) और वन संबंधी सभी वैधानिक मंजूरियां भी प्राप्त कर ली गई हैं.”
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