बिहार पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है. दरअसल, पुलिस ने ग्राम प्रधान की हत्या के मुख्य शूटर को दिल्ली के केशवपुरम से धर दबोचा है.
Crime News: बिहार के ग्राम प्रधान की हत्या के मुख्य शूटर को दिल्ली के केशवपुरम से गिरफ्तार किया गया है. इस संबंध में एक पुलिस अधिकारी ने बुधवार को बताया कि बिहार में एक पूर्व ग्राम प्रधान की राजनीतिक रूप से हत्या में शामिल 39 वर्षीय शूटर को उत्तरी दिल्ली के केशवपुरम से धरा गया है. अधिकारी ने बताया कि राहुल सिंह राजपूत पर 31 गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं और वह 30 नवंबर, 2024 को संजय सिंह की हत्या के लिए औरंगाबाद के माली पुलिस थाने में दर्ज एक मामले में वॉन्टेड था. डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (क्राइम) हर्ष इंदौरा ने कहा, “सिंह की हत्या राजनीतिक वर्चस्व के लिए दो स्थानीय समूहों के बीच चल रही राइवलरी के परिणामस्वरूप हुई. राहुल तब से फरार था, जबकि उसके सात सह-आरोपियों को बिहार पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी थी.”
कबूल लिया गुनाह
22 जुलाई को, बिहार पुलिस की एक टीम ने दिल्ली पुलिस से सहायता मांगी और एक ज्वाइंट ऑपरेशन शुरू किया गया. आरोपी को दिल्ली के केशवपुरम इलाके में पाया गया. उन्होंने बताया कि आखिरकार उसे प्रेमबाड़ी पुल के पास घेर लिया गया और गिरफ्तार कर लिया गया. राहुल ने शुरुआत में पूछताछ टीम को गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन आखिरकार उसने हत्या में अपनी भूमिका कबूल कर ली. बिहार पुलिस टीम ने उसे औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया और आगे की कानूनी कार्यवाही के लिए अदालत में पेश किया. राहुल हत्या, हत्या के प्रयास, जबरन वसूली, डकैती, आर्म्स एक्ट के उल्लंघन, एनडीपीएस एक्ट के अपराधों और उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एक्ट के तहत कई अन्य मामलों में शामिल पाया गया. अधिकारी ने बताया कि पिछले दो दशकों में उस पर उत्तर प्रदेश में कम से कम 31 आपराधिक मामले दर्ज हैं.
कब शुरू हुआ आपराधिक सफर?
डीसीपी ने कहा, “राहुल का आपराधिक सफर 12वीं कक्षा में शुरू हुआ था. अपनी पहली गिरफ्तारी के बाद, उसने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और अवैध नशीले पदार्थों के व्यापार में शामिल हो गया. जमशेदपुर में स्थिर नौकरी न मिलने के कारण वह अपराध की दुनिया में और भी गहराई तक चला गया.” अधिकारी ने बताया कि धीरे-धीरे उसने एक सुपारी किलर और जबरन वसूली करने वाले के रूप में अपनी एक भयावह छवि बना ली और अपना नेटवर्क वाराणसी, जौनपुर, गाजीपुर, चंदौली, भदोही और देवरिया तक फैला लिया. उन्होंने बताया कि जेल में मिले बिहार के एक अन्य गैंगस्टर राकेश गिरी के साथ उसके संबंध औरंगाबाद हत्याकांड में उसकी संलिप्तता का कारण बने.
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