अभियान से बांग्लाभाषी प्रवासी मजदूरों में भय व्याप्त हो गया है. पश्चिम बंगाल की रहने वाली अंजू खातून काफी भयभीत है. उसके पति को गुरुग्राम पुलिस ने अवैध प्रवासियों के लिए बनाए गए हिरासत केंद्रों में भेज दिया है.
Gurugram: गुरुग्राम पुलिस ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है. अभियान से बांग्लाभाषी प्रवासी मजदूरों में भय व्याप्त हो गया है. पश्चिम बंगाल की रहने वाली अंजू खातून काफी भयभीत है. उसके पति को गुरुग्राम पुलिस ने अवैध प्रवासियों के लिए बनाए गए हिरासत केंद्रों में भेज दिया है. कई बंगाली भाषी लोग अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए पुलिस के चल रहे अभियान से भयभीत हैं. कई लोग दावा करते हैं कि पुलिस बंगाली भाषी लोगों को निशाना बना रही है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, पिछले एक सप्ताह से चल रहे इस अभियान के तहत 250 से अधिक संदिग्ध लोगों को हिरासत केंद्रों में भेजा गया है, जहां उनके दस्तावेजों का सत्यापन किया जा रहा है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए एक सत्यापन प्रक्रिया चलाई जा रही है.
दस्तावेजों का हो रहा सत्यापन
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने उन रिपोर्टों को खारिज कर दिया कि पश्चिम बंगाल और असम के प्रवासी श्रमिकों को निशाना बनाया जा रहा है. बंगाली भाषा बोलने वाले अधिकांश सफाई कर्मचारियों ने इस डर से काम पर आना बंद कर दिया है कि उन्हें निवास सत्यापन के लिए हिरासत केंद्र में रोक लिया जाएगा. खातून ने बताया कि वह सेक्टर 56 की एक झुग्गी बस्ती में रहती है. सोमवार को मेरे पति सेक्टर 56 स्थित एक आवासीय सोसायटी में कार साफ करने गए थे. इस दौरान पुलिस उन्हें अपने साथ हिरासत केंद्र में ले गई. यह बात मुझे देर शाम पता चली. उन्होंने कहा कि जब मैं अपने आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज़ों के साथ केंद्र पहुंची, तभी पुलिस ने मेरे पति को रिहा किया. हम पश्चिम बंगाल से हैं और पिछले पांच सालों से गुरुग्राम में रह रहे हैं. सूत्रों ने दावा किया कि असम के धुबरी के 20 से ज़्यादा लोगों को पुलिस ने सेक्टर-10 स्थित सामुदायिक केंद्र में पांच दिनों तक रखा था, जिसके बाद उन्हें बुधवार को रिहा कर दिया गया.
गुरुग्राम में बनाए गए चार होल्डिंग एरिया
शहर में दस साल से कचरा इकट्ठा कर रहे जहांर इस्लाम ने बताया कि पुलिस ने उन्हें पांच दिन पहले पकड़ा था. इस्लाम ने कहा कि हमें यह नहीं बताया गया कि हमें क्यों हिरासत में लिया गया है. पकड़े गए सभी लोग कंकरोला और पंचगांव गांवों के आसपास के घरों से कचरा इकट्ठा करते हैं.वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पुलिस ने अब तक अभियान के दौरान आठ अवैध प्रवासियों की पहचान की है, जिनके बांग्लादेश से होने का संदेह है और कुछ और सत्यापन किए जा रहे हैं. गुरुग्राम के डीसीपी (मुख्यालय) अर्पित जैन ने गुरुवार को फोन पर पीटीआई-भाषा को बताया कि हम संदिग्ध अवैध प्रवासियों पर केंद्र के दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं. हम उन्हें हिरासत में नहीं ले रहे हैं, लेकिन सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने तक उन्हें ‘होल्डिंग एरिया’ में रखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि उन्हें होल्डिंग एरिया में रखने का एकमात्र उद्देश्य यह है कि कोई भी अवैध प्रवासी भाग न सके. उन्होंने कहा कि गुरुग्राम में चार होल्डिंग एरिया बनाए गए हैं. पुलिस ने बताया कि ये होल्डिंग एरिया मानेसर के सेक्टर 1 स्थित सामुदायिक केंद्र, बादशाहपुर, सेक्टर 10ए और सेक्टर 40 में बनाए गए हैं. मंगलवार को प्रशासन ने नायब तहसीलदारों को इन केंद्रों का प्रभारी नियुक्त किया.
वैध दस्तावेज नहीं रहने पर होंगे निर्वासित
गुरुग्राम पुलिस के प्रवक्ता संदीप कुमार ने कहा कि गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के तहत चार होल्डिंग सेंटर बनाए गए हैं. इन केंद्रों पर उन्हें चिकित्सा सुविधाओं समेत सभी बुनियादी ज़रूरतें मुहैया कराई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि जिन लोगों का सत्यापन हो गया है, उन्हें जाने दिया गया है. प्रत्येक होल्डिंग सेंटर में 50 से ज़्यादा लोगों को रखा गया है, जहां उनके दस्तावेज़ों की जांच की जा रही है. जांच के बाद सभी को छोड़ दिया जाएगा. डीसीपी ने बताया कि गुरुग्राम पुलिस अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए साल भर अभियान चलाती रहती है. उन्होंने कहा कि जो लोग तय समय से ज़्यादा समय तक अवैध रूप से रह रहे हैं या जिनके पास वैध दस्तावेज़ नहीं हैं, उन्हें निर्वासित किया जाता है. मौजूदा अभियान के बारे में जैन ने कहा कि हर संदिग्ध व्यक्ति का विवरण सत्यापन के लिए संबंधित राज्य के ज़िला मजिस्ट्रेट या डिप्टी कमिश्नर को भेजा जा रहा है. उन्होंने कहा कि जब हमें वहां से रिपोर्ट मिलती है, तो हम उसके आधार पर आगे की कार्रवाई करते हैं.
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