Home Top News राहुल के सवालों का मोदी ने दिया करारा जवाब लेकिन सौ बात की एक बात सीजफायर क्यों हुआ?

राहुल के सवालों का मोदी ने दिया करारा जवाब लेकिन सौ बात की एक बात सीजफायर क्यों हुआ?

by Live Times
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Rahul Gandhi and PM Modi

अखिलेश ने कहा है कि संसद की चर्चा के दौरान कल ही क्यों आतंकी मारे गये और किस दवाब में सीजफायर हुआ? प्रियंका ने सरकार को आईना दिखाने के लिए कहा कि मुंबई में हमले में उनकी सरकार के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री ने इस्तीफा दिया लेकिन गृहमंत्री अमित शाह क्यों नहीं इस्तीफा देते हैं?

Debate on Operation Sindoor in Lok Sabha: भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध क्यों रोक दिया, सीजयफायर किसने रूकवाया, भारत के कितने विमान गिरे, पहलगाम में आतंकी कहां हैं, पहलगाम के टूरिस्टों की सुरक्षा क्यों नहीं दी गई, आतंकी कहां से घुसे इत्यादि इन मुद्दों पर विपक्षी पार्टियां लगातार सरकार को घेर रही थी. सरकार भी लगातार कह रही थी कि सरकार हर मुद्दों पर चर्चा करने को तैयार है. आखिरकार संसद में चर्चा शुरू हुई, विपक्ष ने सवालों की बौछारों से घेरने की कोशिश की लेकिन सरकार वही बात कही जो कहना था लेकिन एक नई बात संसद के चर्चा के दौरान आई कि पहलगाम के तीनों आतंकियों को मार गिराया गया, ये बाद चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने घोषणा की. जाहिर है कि विपक्ष की कोशिश होती है कि सरकार को घेरना, सरकार को फंसाना और सरकार को एक्सपोज कर देना और सरकार की कोशिश होती है कि अपनी बात पर अडिग रहना, विपक्ष के जाल में नहीं फंसाना और अपनी बात को पुरजोर रूप से रखना होता है. राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर करारा हमला करते हुए कहा ट्रंप ने 29 बार कहा कि उन्होंने युद्ध रुकवाया दिया. अगर यह सच नहीं है, तो प्रधानमंत्री को इनकार करना चाहिए और ट्रंप से कहना चाहिए कि आप झूठे हैं. अगर इंदिरा गाधी से आधी हिम्मत हो तो संसद में कहें कि ट्रप झूठे हैं है तो मोदी ने जवाब देते हुए बिना ट्रंप का नाम लिये हुए कहा कि किसी भी नेता ने ऑपरेशन रोकने के लिए नहीं कहा है.

विपक्ष के सवालों की बौछार

बातें तो बहुत हुई अखिलेश ने कहा है कि संसद के चर्चा के दौरान कल ही क्यों आतंकी मारे गये और किस दवाब में सीजफायर हुआ? प्रियंका ने सरकार को आईना दिखाने के लिए कहा कि मुंबई में हमले में उनकी सरकार के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री ने इस्तीफा दिया लेकिन गृहमंत्री अमित शाह क्यों नहीं इस्तीफा देते हैं? वहीं प्रियंका ने ये भी सवाल किया कि 26 लोगों को मौत के घाट उतारा गया, सुरक्षा कहां थी? सरकार भरोसे लोग पहलगाम गये थे लेकिन सरकार ने उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया. मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा में घेरा और कहा कि मोदी जी गालियों का हिसाब रखते हैं लेकिन भारत के खिलाफ ट्रंप के दावे पर पीएम मोदी क्यों चुप हैं? राहुल गांधी ने मोदी पर हमला करते हुए कहा कि अगर मोदी में दम है तो मोदी बोलें कि ट्रप झूठ बोल रहें हैं. विपक्ष के सारे नेताओं ने सरकार को घेरने की कोशिश की.  विपक्ष ने एक सुर में सेना की बहादुरी की बात की लेकिन सरकार से ऑपरेशन सिंदूर पर कई सवाल किये और घेरने की कोशिश की. गौर करने की बात है कि विपक्ष में एक बात का आभाव दिखा कि सारे विपक्षी पार्टियां एक पेज पर नहीं थी, हर पार्टी अपने हिसाब से बात कर रही थी.

सरकार का करारा जवाब

विपक्ष की तुलना में सत्ता पक्ष एक सुर से एक ही बात कर रहे थे लगता है कि विपक्ष की तुलना में सरकार की तैयारी बेहतर थी. सरकार ने विपक्ष के सारे सवालों का जवाब देने की कोशिश की. विपक्ष का एक बड़ा सवाल था कि 26 लोगों की मौत के घाट उतारने वाले आतंकी कहां हैं? संयोग कहें कि ऑपरेशन सिंदूर के चर्चा के दौरान जम्मू कश्मीर से एक खबर आई, कि तीन आतंकी मारे गये, कयास लगाये गये कि पहलगाम हमले के आतंकियों को एनकाउंटर में मार गिराये गये लेकिन सरकार और सेना की तरफ से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई. आज गृहमंत्री अमित शाह ने ऑपरेशन सिंदूर के चर्चा के दौरान खुलासा किया कि जिन आतंकियों ने पहलगाम में पर्यटकों को मारा था, वो तीनों आतंकियों को ढेर कर दिया गया. उन्होंने कहा कि जिन्होंने बैसरन घाटी में हमारे 26 लोगों को मारा था, वो तीनों आतंकी मारे गये. चाहे प्रधानमंत्री हो या हो गृहमंत्री, विदेश मंत्री हो या हो रक्षा मंत्री, एक बात साफ किया गया कि ट्रंप के दवाब में सीजफायर नहीं किया गया. विदेश मंत्री एस जयशंकर की बात दुहराते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि अमेरिका उपराष्ट्पति जेडी वेंस ने मई 9 को पीएम मोदी से फोन पर बात की और पाकिस्तान के संभावित हमले की बात की तो उन्होंने टो टूक में जवाब दिया, भारत मुंहतोड़ जवाब देगा. फिर जेडी वेंस ने विदेश मंत्री से बात की और जयशंकर ने खुलासा किया कि 10 मई को अंतरराष्ट्रीय कॉल्स आएं, जिसमें बताया गया कि पाकिस्तान संघर्ष विराम चाहता है. भारत ने जवाब दिया कि अगर पाकिस्तान को बात करनी है तो डीजीएमओ के माध्यम से औपचारिक अनुरोध करे. इसके बाद दोनों देशों के बीच बातचीत के बाद सीजफायर किया गया है. वहीं जयशंकर ने साफ किया कि 22 अप्रैल से 17 जून के बीच मोदी और ट्रंप के बीच कोई सीधा संवाद नहीं हुआ, मतलब ट्रंप के दावे को प्रधानमंत्री से लेकर सारे बड़े मंत्रियों ने खारिज किया गया. जहां विपक्ष के सवाल विमान गिराने लेकर था, उस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि ये महत्वपूर्ण ये नहीं कि कितने विमान गिराए गए, इसके जगह किसी भी परीक्षा का परिणाम मैटर करता है. जो ये हैं कि इस ऑपरेशन में भारत ने विजय पताका फहराया है. एस जयशंकर ने सिलसिलेवार ढंग से बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के पहले सरकार ने काफी कदम उठाए थे एक तरफ पूरी दुनिया को बताया तो दूसरी तरफ कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्युरिटी के बाद ही सिंधु जल समझौता को ठंढ़े बस्ते में डालना, पाकिस्तान नागरिक के वीजा को रद्द करना, पाकिस्तान दूतावात में स्टाफ करना और बॉर्डर पर दोनों देशों के बीच बीटिंग रिट्रीट को रद्द करना आदि महत्वपूर्ण फैसले लिये गये.

सीजफायर क्यों हुआ?

सीजफायर को लेकर तरह तरह की बातें आ रही है, सरकार ने क्यो सीजफायर किया, अभी तक खुलासा नहीं किया गया है लेकिन सीजफायर करने के पीछे तीन बातें उभरकर सामने आ रही है. एक भारत के हमले से पाकिस्तान की भारी तबाही हुई थी और पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ था, कहा जा रहा है कि न्यूक्लिर हमले की प्लानिंग पाकिस्तन कर रहा था? भारत का मकसद पूरा हो गया था और भारत अब इसे लंबा नहीं खींचना चाहता था इसीलिए डीजीएमओ लेवल के बाद सीजफायर करने का ऐलान किया गया. दूसरी बात ये भी थी पाकिस्तान को तुर्की और चीन मदद कर रहा था और ऐसे में ये युद्ध लंबा न चले ताकि भारतीय इंफ्रास्क्टक्चर और सैनिक को भी नुकसान हो सकता है? क्योंकि भारत अपना मकसद पूरा कर लिया था, पहलगाम हमले का बदला ले चुका था. भारत बड़ी जिम्मेदारी के साथ पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया ताकि आम लोगों को कोई नुकसान न हो, ऐसा ही भारत ने हमले के दौरान किया. तीसरी बात ये है कि भारत दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्था है और दुनिया में भारती की इकोनॉमी चौथे नंबर पर पहुंचने वाली है. फुलस्केल युद्ध करने से पाकिस्तान के साथ साथ भारत को भी नुकसान होता, इकोनॉमी, इंफ्रास्ट्क्चर और सैनिकों को भी नुकसान हो सकता है जबकि भारत का सपना है कि विकसित राष्ट्र बनने का , अगर युद्ध लंबा चलता तो भारत अपने लक्ष्य से पीछे छूट सकता था और देश की रफ्तार धीमी पड़ सकती थी. यही वजह है कि भारत शायद सीजफायर के लिए तैयार हुआ है. संसद में दोनों तरफ वाद विवाद हुए, आरोप प्रत्यारोप का दौड़ चला, विपक्ष इस बात से संतुष्ट है कि सरकार को धो दिया. वहीं सरकार अपना पीठ थपथपा रही है कि विपक्ष को करारा जवाब दिया. अब देखना है कि  ऑपरेशन सिंदूर पर जनता सरकार और विपक्ष में से किस पर ज्यादा भरोसा करती है.

धर्मेन्द्र कुमार सिंह, इनपुट एडिटर, लाईव टाइम्स

(ये लेखक के स्वतंत्र विचार हैं)

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