Home Top News अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर कांग्रेस ने पीएम मोदी पर फिर साधा निशाना, कई मुद्दों पर केंद्र को घेरा

अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर कांग्रेस ने पीएम मोदी पर फिर साधा निशाना, कई मुद्दों पर केंद्र को घेरा

by Vikas Kumar
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Jairam Ramesh

जयराम रमेश ने लिखा, “पिछले एक दशक में पीएम मोदी द्वारा दिए गए पांच झटकों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से तबाह कर दिया है. इसके लिए किसी और को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.

Congress Slams PM Modi on Economy: कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बाद अब शुक्रवार को कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी अर्थव्यस्था के मोर्चे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरा है. जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करके निशाना साधा है. बता दें कि गुरुवार को राहुल गांधी ने एक्स पोस्ट में कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था मर चुकी है, मोदी ने इसे खत्म कर दिया.

क्या बोले जयराम रमेश?

जयराम रमेश ने एक्स पोस्ट में लिखा, “पिछले एक दशक में, प्रधान मंत्री मोदी द्वारा दिए गए पांच झटकों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से तबाह कर दिया है. इसके लिए किसी और को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. नोटबंदी ने हमारे विकास की रफ्तार को पूरी तरह पटरी से उतार दिया और करोड़ों भारतीयों की आजीविका बर्बाद कर दी. बुनियादी रूप से दोषपूर्ण जीएसटी -जो न तो गुड है और न ही सिंपल- ने देशभर के हजारों व्यावसायिक उद्यमों पर कहर बरपाया है. केवल वही बड़ी कंपनियाँ इससे बची हैं, जो जीएसटी के नियमों का पालन करने में लगने वाली भारी लागत वहन कर सकती हैं. चीन से रिकॉर्ड स्तर पर आयात के चलते देशभर में लाखों MSMEs बंद हो गए -केवल गुजरात में ही स्टेनलेस स्टील उद्योग से जुड़ी लगभग एक-तिहाई MSMEs ने अपने कामकाज को बंद कर दिया है. कई प्रमुख क्षेत्रों के निर्यात कच्चे माल, कल-पुर्जों और मध्यवर्ती वस्तुओं के लिए चीन से आयात पर निर्भर हैं.”

भारतीय उद्योगपतियों का किया जिक्र

जयराम रमेश ने इसी एक्स पोस्ट में आगे लिखा, “निजी निवेश अब वैसा गतिशील नहीं रहा, जैसा 2004 से 2014 के बीच देखा गया था. भारतीय उद्योगपति तेजी से अन्य देशों की नागरिकता ले रहे हैं। राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित और उगाही आधारित छापामारी राज, साथ ही मोदानी के बढ़ते प्रभाव ने भारतीय अर्थव्यवस्था में विश्वास को गहरा आघात पहुंचाया है. पिछले एक दशक में अधिकांश भारतीयों की मजदूरी ठहरी हुई है, चाहे वह किसी भी वर्ग या क्षेत्र से हों. यह समस्या ग्रामीण भारत में और भी गंभीर है। घरेलू बचत में भारी गिरावट आई है जबकि घरेलू कर्ज तेजी से बढ़ा है. निजी उपभोग, जो विकास का प्रमुख चालक होता है, लड़खड़ा रहा है -जबकि भोग-विलास का उपभोग कम नहीं हुआ है, जो आर्थिक असमानता के और बढ़ने का स्पष्ट संकेत है. मोदी सरकार, उसके लिए ढोल पीटने वाले और जयकारा लगाने वाले एक काल्पनिक दुनिया में जी रहे हैं। वे अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति के बारे में सच बोलने से बच रहे हैं.”

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