Home Latest News & Updates निचली अदालतों को मजबूत करने की जरूरत, न्याय हो सुलभ और त्वरित, देश भर में 5 करोड़ से अधिक मामले लंबित

निचली अदालतों को मजबूत करने की जरूरत, न्याय हो सुलभ और त्वरित, देश भर में 5 करोड़ से अधिक मामले लंबित

by Sanjay Kumar Srivastava
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Union Minister Kiren Rijiju

केंद्रीय संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने कहा कि हमें आम लोगों के लिए न्याय को आसान बनाना होगा. लोगों और न्याय के बीच की दूरी को कम करना होगा.

Itanagar News: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को कहा कि न्यायिक बुनियादी ढांचे, खासकर निचली न्यायपालिका में, को मज़बूत किया जाना चाहिए ताकि न्याय सुलभ, त्वरित और जन-अनुकूल हो सके. यहां नवनिर्मित गुवाहाटी उच्च न्यायालय, ईटानगर स्थायी पीठ भवन के उद्घाटन समारोह में उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचा बेहद ज़रूरी है, खासकर निचली न्यायपालिका में. रिजिजू ने कहा कि न्यायाधीशों और वादियों के लिए अच्छी सुविधाओं की ज़रूरत है. केंद्रीय संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने कहा कि हमें आम लोगों के लिए न्याय को आसान बनाना होगा. लोगों और न्याय के बीच की दूरी को कम करना होगा. न्याय अदालतों से परे भी दिया जाना चाहिए. मोदी सरकार के सुधारों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि ब्रिटिश काल में बनाए गए 1,500 से अधिक निरर्थक और अप्रचलित कानूनों को हटा दिया गया है क्योंकि उन्होंने आम लोगों के लिए अनावश्यक समस्याएं पैदा की थीं.

कानूनी जागरूकता फैलाने का आग्रह

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हवाला देते हुए कहा कि आम लोगों के जीवन में सरकार की उपस्थिति को अधिकतम तक कम किया जाना चाहिए. रिजिजू ने कहा कि देश भर में पांच करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं. कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ई-कोर्ट और संबंधित बुनियादी ढांचे के लिए 7,000 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं. उन्होंने कहा कि 2021 से हमने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के लिए 21 न्यायाधीशों की नियुक्ति की है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड में इसकी पीठों के लिए तीन-तीन शामिल हैं. 2018 तक अरुणाचल से कोई उच्च न्यायालय न्यायाधीश नहीं था. अरुणाचल पश्चिम संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले रिजिजू ने राज्य के वकीलों से कानूनी जागरूकता फैलाने का आग्रह किया, क्योंकि अरुणाचल में औपचारिक न्यायिक प्रणाली देर से शुरू हुई है और प्रथागत कानूनों का प्रचलन जारी है.

समान नागरिक संहिता आदिवासी राज्यों के लिए नहीं

समान नागरिक संहिता पर उन्होंने कहा कि यह पूरे देश के लिए है, लेकिन पूर्वोत्तर के आदिवासी राज्यों के लिए नहीं. हमने इसे यहां छूट दी है क्योंकि हम मौजूदा आदिवासी कानूनों को प्रभावित नहीं करना चाहते. राज्य में और अधिक जिला एवं सत्र न्यायालयों व कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने का आह्वान करते हुए रिजिजू ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश सरकार न्यायिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए हर संभव सहायता प्रदान कर रही है. केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि नया न्यायालय परिसर कोई साधारण इमारत नहीं, बल्कि न्याय का मंदिर है. मेघवाल ने कहा कि नया न्यायालय भवन ‘विकसित भारत’ के अनुरूप विकास का माध्यम होगा. इस कार्यक्रम में 135.35 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित अत्याधुनिक उच्च न्यायालय भवन, जिसमें पांच न्यायालय कक्ष और आधुनिक सुविधाएं हैं.

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