Home Latest News & Updates Youngest Paragliding Pilot: सैशा राउत ने रचा इतिहास, दुनिया की सबसे कम उम्र की पैराग्लाइडिंग पायलट बनीं

Youngest Paragliding Pilot: सैशा राउत ने रचा इतिहास, दुनिया की सबसे कम उम्र की पैराग्लाइडिंग पायलट बनीं

by Jiya Kaushik
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SAESHA MANGESH RAUT

The World’s Youngest Paragliding Pilot: आसमान, समंदर और पहाड़, सैशा के सपनों का दायरा असीमित है. उनकी उड़ान आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाएगी कि उम्र सिर्फ एक संख्या है, और हौसला किसी भी ऊंचाई को जीत सकता है.

The World’s Youngest Paragliding Pilot: भारतीय एडवेंचर स्पोर्ट्स के इतिहास में 21 मई 2025 का दिन हमेशा याद रखा जाएगा. मुंबई, महाराष्ट्र की 8 वर्षीय सैशा मंगेश राउत ने हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध बीर-बिलिंग में 2,459 मीटर (8,068 फीट) की ऊंचाई से 15 मिनट का सोलो पैराग्लाइडिंग फ्लाइट किया और दुनिया की सबसे कम उम्र की पैराग्लाइडिंग पायलट बनने का गौरव हासिल किया. यह उपलब्धि न केवल हाई रेंज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुई, बल्कि देशभर के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत बन गई.

कम उम्र में बड़ी उड़ान

सिर्फ 8 साल, 7 महीने और 17 दिन की उम्र में यह कारनामा करना आसान नहीं था. सैशा ने यह उड़ान प्रमाणित प्रशिक्षकों की देखरेख में, एंटीग्रैविटी पैराग्लाइडिंग स्कूल के साथ पूरी की. उनकी पैराग्लाइडिंग यात्रा महाराष्ट्र के कामशेत स्थित इंडस स्कूल ऑफ पैराग्लाइडिंग से शुरू हुई, जहां उन्होंने शुरुआती प्रशिक्षण, टेकऑफ-लैंडिंग की तकनीक, और हवा के रुख को समझने की बारीकियां सीखीं. कई छोटी सोलो उड़ानों ने उनके आत्मविश्वास और कौशल को नया आयाम दिया.

रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड

पैराग्लाइडिंग में यह उपलब्धि उनकी पहली नहीं है. सैशा पहले ही माउंट एवरेस्ट बेस कैंप तक पैदल यात्रा करने वाली सबसे कम उम्र की व्यक्ति बन चुकी हैं. उन्होंने 100 किलोमीटर की नॉन-स्टॉप साइक्लिंग चैलेंज भी पूरी की है. पर्वतारोहण, लंबी दूरी की साइक्लिंग और अब हवा में उड़ान, इन तीनों क्षेत्रों में उनकी सफलता उनके अडिग साहस और अद्भुत बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाती है.

देशभर से मिली सराहना

सैशा की इस उड़ान के बाद सोशल मीडिया पर उन्हें “आसमान की रानी” और “युवा प्रेरणा” जैसे खिताब दिए जा रहे हैं. एडवेंचर स्पोर्ट्स संस्थानों, शिक्षाविदों और मशहूर हस्तियों ने उन्हें बधाई दी है. उनके पिता, मंगेश हेमंत राउत, ने हमेशा उनकी सुरक्षा, अनुशासन और व्यवस्थित प्रशिक्षण को प्राथमिकता दी, जिससे सैशा का आत्मविश्वास और भी मजबूत हुआ.

नई पीढ़ी के लिए मिसाल

आज के डिजिटल युग में, जब बच्चे स्क्रीन में खोए रहते हैं, सैशा की कहानी हमें याद दिलाती है कि असली रोमांच और सीख प्रकृति के करीब जाने में है. उनकी उपलब्धि युवाओं को यह संदेश देती है, “उम्र नहीं, आपका जुनून तय करता है कि आप कितनी ऊंचाई तक उड़ सकते हैं.”

आसमान, समंदर और पहाड़, सैशा के सपनों का दायरा असीमित है. उनकी उड़ान आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाएगी कि उम्र सिर्फ एक संख्या है, और हौसला किसी भी ऊंचाई को जीत सकता है. आने वाले सालों में, शायद हम उन्हें और भी ऊंचाइयों को छूते देखेंगे, क्योंकि असली सफर अभी शुरू हुआ है.

यह भी पढ़ें: पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ की ‘गुमशुदगी’ पर सियासी तूफ़ान, राउत ने अमित शाह को लिखा पत्र

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