Home Religious Varah Jayanti 2025: अगस्त में इस दिन मनाई जाएगी वराह जयंती, महत्व और पूजा विधि

Varah Jayanti 2025: अगस्त में इस दिन मनाई जाएगी वराह जयंती, महत्व और पूजा विधि

by Jiya Kaushik
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Varah Jayanti 2025: वराह जयंती केवल धार्मिक अनुष्ठान भर नहीं, बल्कि यह सत्य, धर्म और साहस की जीत का उत्सव है. 25 अगस्त 2025 को भक्तजन इस पर्व को पूरे विधि-विधान के साथ मनाएंगे.

Varah Jayanti 2025: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को भगवान विष्णु के तीसरे अवतार वराह की जयंती मनाई जाती है. धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने वराह रूप धारण कर समुद्र में डूबी हुई पृथ्वी को राक्षस हिरण्याक्ष से मुक्त कराया और पुनः अपने स्थान पर स्थापित किया. यह पर्व धर्म, साहस और न्याय की विजय का प्रतीक माना जाता है. वर्ष 2025 में वराह जयंती 25 अगस्त, सोमवार के दिन मनाई जाएगी.

वराह जयंती 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार वराह जयंती 25 अगस्त 2025 को आएगी. तृतीया तिथि का प्रारंभ 25 अगस्त को दोपहर 12:35 बजे होगा और यह 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे तक रहेगी. इस दिन पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त दोपहर 1:40 बजे से शाम 4:15 बजे तक का रहेगा. इस अवधि में वराह भगवान की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है. भक्तजन उपवास, दान और पूजा-पाठ कर पुण्य की प्राप्ति करते हैं.

पौराणिक कथा और महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, राक्षस हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को समुद्र में डुबो दिया था. तब सृष्टि का संतुलन बिगड़ गया और देवताओं ने भगवान विष्णु से रक्षा की प्रार्थना की. विष्णु ने वराह रूप धारण कर समुद्र की गहराइयों से धरती को उठाया और अपने दांतों पर धारण कर उसे पुनः सुरक्षित स्थान पर स्थापित किया. इसके बाद भगवान ने हिरण्याक्ष का वध कर धर्म और न्याय की स्थापना की. यही कारण है कि इस पर्व को सत्य और धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन पूजा-अर्चना से धन, स्वास्थ्य, भय से मुक्ति और शत्रु पर विजय की प्राप्ति होती है.

पूजा विधि और विशेष उपाय

वराह जयंती के दिन प्रातःकाल स्नान करके घर या मंदिर को पवित्र करना चाहिए. भगवान वराह की मूर्ति या चित्र का पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और मक्खन) से अभिषेक कर पूजन किया जाता है. धातु के कलश में जल भरकर, आम के पत्ते और नारियल स्थापित कर कलश पूजन किया जाता है. पूजा के समय विष्णु स्तोत्र, वराह स्तुति और श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करना शुभ होता है. व्रतधारी गरीबों को वस्त्र, भोजन और धन का दान करते हैं. पूजा के अंत में धूप-दीप, नैवेद्य, फल और मिठाई अर्पित कर आरती की जाती है. कई जगहों पर विशेष भोग जैसे पंचाहार, हलवा, दही और फल चढ़ाए जाते हैं. व्रत रखने वाले लोग शाम को फलाहार या दही-फल से उपवास तोड़ सकते हैं.

मान्यता है कि वराह जयंती पर की गई पूजा से भक्तों को भय से मुक्ति, शत्रुओं पर विजय, धन-समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है. यह पर्व हमें याद दिलाता है कि जब अन्याय और अधर्म बढ़ता है, तब ईश्वर स्वयं अवतार लेकर धर्म और संतुलन की स्थापना करते हैं.

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