Shashi Tharoor on terrorism: शशि थरूर ने दिया संदेश साफ है, अब गेंद पाकिस्तान के पाले में है. भारत केवल उसी वक्त आगे बढ़ेगा जब इस्लामाबाद सच्ची नीयत और ठोस कदम उठाकर आतंकवाद के ढांचे को खत्म करेगा.
Shashi Tharoor on terrorism: भारत-पाकिस्तान संबंधों को लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने साफ कहा है कि अब भारत के पास बार-बार विश्वासघात झेलने के बाद पहल करने की कोई इच्छा नहीं है. उन्होंने पाकिस्तान से आतंकवादी ढांचे को खत्म करने की सच्ची नीयत दिखाने की मांग की और कहा कि पहला कदम अब पाकिस्तान को ही उठाना होगा.
बार-बार हुए विश्वासघात का हवाला
थरूर ने कहा कि भारत ने कई बार दोस्ती का हाथ बढ़ाया, लेकिन हर बार पाकिस्तान की ओर से शत्रुता और हिंसा का सामना करना पड़ा.
• 1950: जवाहरलाल नेहरू और लियाकत अली खान का समझौता.
• 1999: अटल बिहारी वाजपेयी की लाहौर बस यात्रा.
• 2015: नरेंद्र मोदी की अचानक लाहौर यात्रा.
इन सभी प्रयासों का परिणाम आतंक और हमलों में मिला.
आतंक ढांचे को खत्म करने की मांग
थरूर ने सवाल उठाया,’क्यों नहीं पाकिस्तान इन आतंकी कैंपों को बंद करता? पूरी दुनिया जानती है कि वे कहां हैं. संयुक्त राष्ट्र की सूची में 52 आतंकी संगठनों और व्यक्तियों के नाम दर्ज हैं. पाकिस्तान को यह जानकारी है, लेकिन कार्रवाई की नीयत नहीं.’ उन्होंने कहा कि भारत ने 2008 मुंबई हमलों के बाद पाकिस्तान को भारी सबूत दिए थे, लेकिन अब तक किसी भी मास्टरमाइंड को सज़ा नहीं मिली.
संयम से सर्जिकल स्ट्राइक तक
थरूर ने याद दिलाया कि भारत ने हमलों के बाद असाधारण संयम दिखाया, लेकिन लगातार उकसावे के बाद 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम देना पड़ा. उन्होंने अपनी किताब Pax Indica (2012) का जिक्र करते हुए कहा था कि अगर कभी दूसरा ‘मुंबई जैसा हमला’ हुआ और पाक की भूमिका साबित हुई, तो भारत 2008 जैसा संयम नहीं रख पाएगा, और यही हुआ.
ट्रंप नहीं, भारत की ताकत ने रोका युद्ध
थरूर ने यह भी साफ किया कि 2021 में संघर्ष विराम की पहल पाकिस्तान की तरफ से आई थी, और यह अमेरिका या ट्रंप के दबाव का नतीजा नहीं था. उन्होंने कहा कि भारत की सफल 9-10 मई की स्ट्राइक और पाकिस्तानी मिसाइल हमले की नाकामी ही वजह बनी कि पाकिस्तानी DGMO ने शांति के लिए भारतीय समकक्ष को फोन किया.
भविष्य के लिए सबक
थरूर ने कहा कि भारत के लिए सीमा पर शांति और स्थिरता राष्ट्रीय हित के लिए अनिवार्य है. उन्होंने फ्रांस-जर्मनी और अमेरिका-वियतनाम के उदाहरण दिए, जिन्होंने युद्ध के बाद रिश्तों को सामान्य किया. लेकिन उन्होंने दोहराया कि अब भारतीय जनता और सरकार से कोई पहल की उम्मीद न की जाए, जब तक पाकिस्तान आतंक के खिलाफ ठोस कार्रवाई न करे.
शशि थरूर का संदेश साफ है, अब गेंद पाकिस्तान के पाले में है. भारत केवल उसी वक्त आगे बढ़ेगा जब इस्लामाबाद सच्ची नीयत और ठोस कदम उठाकर आतंकवाद के ढांचे को खत्म करेगा. बार-बार के विश्वासघात के बाद अब भारतीय राजनीति और जनता में पाकिस्तान के प्रति धैर्य की सीमा समाप्त हो चुकी है.
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