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केंद्र कर रहा पंजाब की अनदेखी, प्रधानमंत्री ने बाढ़ पर एक शब्द भी नहीं कहा: हरपाल सिंह चीमा

by Sanjay Kumar Srivastava
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Punjab flood

Punjab flood: आप मंत्री चीमा ने अमित शाह की भी निंदा की. उन्होंने कहा कि शाह ने मुख्यमंत्री मान के पत्र के जवाब में राहत पैकेज जारी करने का कोई आश्वासन नहीं दिया.

Punjab flood: पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने सोमवार को आरोप लगाया कि केंद्र राज्य में बाढ़ से हुई तबाही को पूरी तरह से नजरअंदाज कर रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस आपदा के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा है. आप मंत्री चीमा ने अमित शाह की भी निंदा की. उन्होंने कहा कि शाह ने मुख्यमंत्री मान के पत्र के जवाब में राहत पैकेज जारी करने का कोई आश्वासन नहीं दिया. गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया और मुख्यमंत्री मान से बात कर राज्य में बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया. चीमा ने कहा कि उनके आबकारी एवं कराधान विभाग ने बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में 50 लाख रुपये का चेक दिया. वित्त मंत्री ने दावा किया कि पंजाब सरकार, उसके विभाग और राज्य के लोग सामूहिक रूप से इस प्राकृतिक आपदा से निपट रहे हैं, वहीं भाजपा नीत केंद्र सरकार राज्य को पूरी तरह से नजरअंदाज कर रही है.

केंद्रीय राज्य मंत्री पर भी उठाया सवाल

चीमा ने कहा कि प्रधानमंत्री, जो एक्स पर जन्मदिन की शुभकामनाएं भी पोस्ट करते हैं, ने पंजाब को प्रभावित करने वाली प्राकृतिक आपदा के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा है. उन्होंने केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू की भी आलोचना की कि वे केंद्रीय नेतृत्व से कार्रवाई करने का आग्रह करने के बजाय लुधियाना के समराला में एक राजनीतिक रैली में व्यस्त रहे. उन्होंने कहा, पंजाब भाजपा के नेताओं को इस रवैये पर शर्म आनी चाहिए. मान द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र को दिखाते हुए चीमा ने कहा कि इसमें जीएसटी मुआवजे और ग्रामीण विकास निधि, मंडी विकास निधि और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत केंद्र द्वारा राज्य को दिए जाने वाले 60,000 करोड़ रुपये के धन का विवरण दिया गया है. उन्होंने कहा कि मान ने बाढ़ पीड़ितों के लिए पर्याप्त मुआवजा सुनिश्चित करने के लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) के तहत सहायता प्रदान करने के मानदंडों में संशोधन की भी मांग की.

शाह ने बात की, लेकिन नहीं दिया आश्वासन

चीमा ने कहा कि शाह ने मुख्यमंत्री से फोन पर बात की, लेकिन लंबित धनराशि जारी करने या बाढ़ पीड़ितों को सहायता प्रदान करने के संबंध में कोई आश्वासन नहीं दिया गया. 1962, 1965, 1971 के युद्धों और इस वर्ष की शुरुआत में पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान पंजाब की वीरता को याद करते हुए चीमा ने कहा कि राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों ने हमलों का खामियाजा उठाया और फिर भी पंजाबियों ने अटूट साहस के साथ जवाब दिया. उन्होंने निराशा व्यक्त की कि केंद्र सरकार अब पंजाब की पीड़ा के प्रति “आंखें मूंद लेती है”. चीमा ने कहा कि इस वर्ष पंजाब में आई बाढ़ लगभग चार दशकों में सबसे खराब है और इसने पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, तरनतारन, कपूरथला और जालंधर सहित राज्य के बड़े हिस्से को तबाह कर दिया है. पंजाब में बाढ़ हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में उनके जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण उफनती सतलुज, ब्यास और रावी नदियों और मौसमी नालों के कारण आई है.

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