Zero-Based Budgeting in MP: उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि यह पहल ‘विकसित मध्य प्रदेश 2047’ के विजन के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेगी.
Zero-Based Budgeting in MP: मध्य प्रदेश सरकार ने वित्तीय अनुशासन और सतत दीर्घकालिक विकास सुनिश्चित करने के लिए शून्य-आधारित बजट (Zero-Based Budgeting– ZBB) प्रणाली और तीन-वर्षीय रोलिंग बजट को लागू करने का निर्णय लिया है. मालूम हो कि शून्य-आधारित बजट (Zero-Based Budgeting – ZBB) एक बजट तकनीक है, जिसमें किसी नए बजट अवधि के लिए सभी खर्चों को शुरुआत से या ‘शून्य आधार’ से उचित ठहराया जाता है, बजाय पिछले बजट से राशि को आगे बढ़ाने के. उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि यह पहल ‘विकसित मध्य प्रदेश 2047’ के विजन के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेगी और अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल के रूप में काम करेगी.
रोजगार और सामाजिक न्याय पर भी फोकस
उन्होंने कहा कि सरकार का फोकस न केवल आर्थिक विकास पर है, बल्कि रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचे के विकास और सामाजिक न्याय पर भी है. देवड़ा ने मंगलवार को एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा कि इस कदम के साथ, मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जिसने इस तरह के सुधार शुरू किए हैं, जो दूसरों के लिए एक आदर्श स्थापित कर रहा है. उन्होंने कहा कि इस विजन के अनुरूप सरकार ने अगले पांच वर्षों में राज्य के बजट को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है, ताकि सभी क्षेत्रों में अधिक निवेश और कल्याणकारी योजनाओं में तेजी सुनिश्चित हो सके. मंत्री ने कहा कि इस विस्तार के साथ-साथ सख्त वित्तीय अनुशासन भी लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य तेजी से औद्योगिक विकास और समग्र विकास की ओर बढ़ रहा है. ज़ेडबीबी और रोलिंग बजट के माध्यम से प्रत्येक योजना का कठोर मूल्यांकन किया जाएगा. देवड़ा ने कहा कि प्रत्येक व्यय सीधे जनता की जरूरतों और राज्य की प्राथमिकताओं से जुड़ा होगा.
अमेरिका में भी यह प्रणाली लागू
उन्होंने कहा कि यह 2047 तक विकसित भारत और विकसित मध्य प्रदेश के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सबसे मजबूत आधार प्रदान करेगा. परंपरागत रूप से, अधिकांश राज्य पारंपरिक बजट का पालन करते हैं, जहां आवंटन पिछले व्यय पर आधारित होते हैं. इसके विपरीत, शून्य-आधारित बजटिंग के लिए प्रत्येक योजना को शुरू से ही अपनी प्रासंगिकता का औचित्य सिद्ध करना आवश्यक होता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि अप्रभावी योजनाओं को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाए और संसाधनों का इष्टतम उपयोग किया जाए. विज्ञप्ति में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों ने सुशासन को मजबूत करने और वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए इस प्रणाली को अपनाया है. रोलिंग बजट प्रणाली के अंतर्गत वार्षिक समीक्षा और समायोजन के साथ वर्ष 2026-27, 2027-28 और 2028-29 के लिए बजट तैयार किए जाएंगे. मंत्री ने कहा कि इससे यह सुनिश्चित होता है कि नीतियां दूरदर्शी और दीर्घकालिक रहे और अल्पकालिक दबावों से मुक्त रहे.
वेतन, पेंशन और भत्ते में आएगी पारदर्शिता
विशेषज्ञों का कहना है कि यह मॉडल कॉर्पोरेट क्षेत्र में पहले ही सफल रहा है और राज्य शासन में इसे अपनाना मज़बूत नीतिगत दूरदर्शिता को दर्शाता है. वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि बजट का कम से कम 16 प्रतिशत अनुसूचित जाति उप-योजना के लिए और 23 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति उप-योजना के लिए निर्धारित किया जाएगा. नए दिशानिर्देश वेतन, पेंशन और भत्ते की गणना में पारदर्शिता सुनिश्चित करेंगे. इसके अतिरिक्त बजट से इतर व्यय और केंद्र प्रायोजित योजनाओं के वित्तीय प्रभाव को अब राज्य के बजट में शामिल किया जाएगा. मंत्री ने कहा कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और साथ ही राजकोषीय अनुशासन और जन कल्याण सुनिश्चित होगा. जबकि अधिकांश राज्य पारंपरिक बजट प्रणालियों पर निर्भर रहते हैं, मध्य प्रदेश के निर्णय को वित्तीय सुधारों में एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम माना जा रहा है. विज्ञप्ति में कहा गया है कि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह मॉडल सफल रहा तो यह केंद्र सरकार और अन्य राज्यों को भी इसी तरह की प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रेरित कर सकता है.
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