India-Nepal Relations: नेपाल में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण फैली हिंसा और अराजकता पर कई पूर्व भारतीय राजदूतों ने चिंता जताई है. कहा है कि नई दिल्ली को इस स्थिति पर बहुत करीब से नजर रखनी चाहिए.
India-Nepal Relations: नेपाल में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण फैली हिंसा और अराजकता पर कई पूर्व भारतीय राजदूतों ने चिंता जताई है. कहा है कि नई दिल्ली को इस स्थिति पर बहुत करीब से नजर रखनी चाहिए. कुछ ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत का पड़ोस उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है, जो कि एक स्वस्थ संकेत नहीं है. पूर्व भारतीय राजदूतों ने बड़े पैमाने पर युवाओं के नेतृत्व में हुए सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों के उदाहरणों का हवाला दिया, जिसके कारण हाल के वर्षों में श्रीलंका और बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल हुई और सरकारें गिर गईं. हिमालयी राष्ट्र एक गंभीर राजनीतिक संकट से जूझ रहा है, जब काठमांडू में बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों के बीच मंगलवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया और प्रदर्शनकारियों ने बालकोट में नेपाली नेता के निजी घर में आग लगा दी. प्रदर्शनकारियों ने कई पूर्व मंत्रियों के आवासों पर हमला किया. सोशल मीडिया साइटों पर सरकार के प्रतिबंध के खिलाफ युवाओं के हिंसक विरोध प्रदर्शन ने सोमवार को नेपाल को हिलाकर रख दिया.
‘प्रतीक्षा करें और देखें’ की नीति पर जोर
पूर्व भारतीय राजदूतों ने पीटीआई से कहा कि यह श्रीलंका और बांग्लादेश में हुई घटनाओं के बाद आया है. इस लिहाज से पड़ोसी देशों में अस्थिरता की कई घटनाएं हुई हैं, जिसके कारण शासन व्यवस्था ध्वस्त हो गई और उनके नेता भाग गए. यह स्पष्ट रूप से एक स्वस्थ संकेत नहीं है. राजामोनी, जिन्होंने 2017 से 2020 तक नीदरलैंड में भारत के राजदूत के रूप में कार्य किया, और कई अन्य राजदूतों ने सुझाव दिया कि भारत को नेपाल में घरेलू प्रक्रिया को चलने देना चाहिए. नई दिल्ली को पड़ोसी देश में सामने आ रही स्थिति पर सावधानीपूर्वक नजर रखनी चाहिए. पूर्व राजदूत राजामोनी ने कहा कि मुझे लगता है कि हमें चीजों के शांत होने का इंतजार करना होगा. हमें इसे बहुत सावधानी से देखना चाहिए, क्योंकि इसके हमारे और नेपाल में हमारे हितों पर कई प्रभाव पड़ सकते हैं. 1997 से 2000 तक काठमांडू में मिशन के उप प्रमुख के रूप में नेपाल में सेवा देने वाले अशोक कांत ने भी अभी के लिए ‘प्रतीक्षा करें और देखें’ दृष्टिकोण का आह्वान किया. उन्होंने पीटीआई को बताया कि मेरा अपना अनुभव रहा है कि हमें घरेलू प्रक्रिया को चलने देना चाहिए. मुझे नहीं लगता कि इस समय हमारी वास्तव में कोई भूमिका हो सकती है. हमारा हस्तक्षेप एक अनुत्पादक कार्य बन जाएगा. इसलिए हमें पहले स्थिति को देखना और उसका आकलन करना होगा.
नेपाल में भारतीयों की सुरक्षा पर जोर
हालांकि, अशोक कांत ने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया कि नेपाल में भारतीयों की सुरक्षा हो और भारत के हितों की रक्षा हो. काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास ने मंगलवार को नेपाल में अपने नागरिकों के लिए आपातकालीन संपर्क नंबर जारी किए और उनसे किसी भी आपात स्थिति या सहायता की आवश्यकता होने पर संपर्क करने को कहा. इस सुझाव पर कि नेपाल में उथल-पुथल ऐसे समय में हो रही है जब भारत-चीन संबंध सुधर रहे हैं. कंठ ने कहा कि मुझे लगता है कि हमें इन सभी चीजों को चीन के साथ अपने संबंधों के चश्मे से नहीं देखना चाहिए. राजमणि ने भी उनके विचारों को दोहराते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता कि चीन यहां एक कारक है, लेकिन उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हमारा पड़ोस वास्तव में उथल-पुथल में है. उन्होंने कहा कि श्रीलंका के मामले में 2022 के विरोध प्रदर्शनों के बाद स्थिरता है, और बांग्लादेश चुनाव की ओर बढ़ रहा है. म्यांमार अभी भी अस्थिर बना हुआ है, लेकिन चुनाव की ओर भी बढ़ रहा है. अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान भी बैठा है, और पाकिस्तान में भी अनिश्चितताएं हैं. इसलिए कुल मिलाकर, यह हमारे लिए एक मुश्किल पड़ोस है. इसलिए हमें अधिक ध्यान और कुशल कूटनीति अपनाने की आवश्यकता है.
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